डीएनए हिंदी: बुधवार, 4 अक्टूबर को एशियन गेम्स 2023 में होने वाले जैवलिन थ्रो के फाइनल पर पूरे हिंदुस्तान की नजर ओलंपिक चैंपियन और भारत के गोल्डेन बॉय नीजर चोपड़ा पर टिकी थीं. हालांकि इस स्पर्धा में भारत के दो सूरमा भाग ले रहे थे. दूसरे एथलीट का नाम फाइनल के परिणाम के बाद पूरी दुनिया जान गई. पुरी के जेना किशोर कुमार ने एक बार तो नीरज चोपड़ा को ही पछाड़ दिया था लेकिन ओलंपिक चैंपियन नीरज चोपड़ा ने 5वें थ्रो में शानदार वापसी की और सीजन को बेस्ट थ्रो कर गोल्ड पर कब्जा किया. जेना किशोर ने तीसरे प्रयास में अपने करियर का बेस्ट थ्रो किया और चौथे प्रसाय में उसे भी तोड़कर 87.54 मीटर दूर भाला भेंक सिल्वर मेडल पक्का किया.
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जेना की आंधी के आगे चीन की चाल भी नाकाम
चीन में चल रहे भारतीय एथलीट्स के साथ लगातार ऑफिशियल्स पर मिसजज का आरोप लग रहा है. जैवलिन थ्रो के फाइनल में भी कुछ ऐसा ही हुआ. नीरज चोपड़ा के पहले ही थ्रो मांपने में काफी देर लगाई. इसके बाद जेना किशोर के साथ भी फाइनल में ऐसा ही हुआ लेकिन दोनों घटनाओं के बाद भी ये जांबाज रुके नहीं और पोडियम पर पहले दो स्थान पक्का किया. जिस जेना को फाइनल से पहले बहुत कम लोग जानते थे, फाइनल मुकाबले के बाद पूरा देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया जान गई है. अब ये यही दोनों अगले साल पेरिस में होने वाले ओलंपिक में गोल्ड के लिए प्रतिस्पर्धा करते नजर आ सकते हैं. जेना का यहां तक पहुंचने का सफर आसान नहीं रहा है. उन्होंने अपने पिता के संघर्ष का आज परिणाम दिखाया और देश का नाम रौशन किया.
तीसरे थ्रो से नीरज चोपड़ा को भी किया हैरान
जेना किशोर कुमार ने एशियन गेम्स के फाइनल में धमाकेदार शुरुआत की और पहले ही प्रयास में 80 मीटर के दायरे को तोड़ दिया. सबसे खास बात ये रही है फाइनल में सिर्फ 3 खिलाड़ी ही इस मार्क को छू पाए जिसमें नीरज चोपड़ा और जापान के डीन रॉडरिक शामिल रहे. दूसरे प्रयास में भी जेना ने 79.76 मीटर का थ्रो किया. तीसरे प्रयास में उन्होंने इतिहास रच दिया और करियर का बेस्ट थ्रो किया. साथ ही नीरज चोपड़ा को भी पीछे छोड़ दिया. नीरज ने अपने चौथे प्रयास में कमाल का थ्रो किया और गेल्ड पर कब्जा कर लिया. जेना हार नहीं माने और अपने चौथे थ्रो में फिर से रिकॉर्ड 87.54 मीटर थ्रो किया और अपने बेस्ट देते हुए सिल्वर पर कब्जा किया.
पिता किसान, बेटा बना भारत की शान
किशोर जेना ओडिशा के पुरी जिले के रहने वाले हैं. उनके गांव का नाम कोथासाही हैं. इस गांव में उनके पिता किसान हैं और छह बहनों में किशोर सबसे छोटे भाई हैं. जिस पिता ने खेतों में हल जोतकर अपनी बेटियों की शादी की और जेना के सपने को सच करने में कोई कसर नहीं छोड़ी आज उस पिता का सीना भी चौड़ा हो गया होगा. बेटे ने दुनिया हिला दिया और चीन में भारत का डंका बजाया. जैवलिन थ्रो के फाइनल में भारत का दबदबा रहा और दोनों टॉप मेडल भारत की झोली में आए. भविष्य में अब जेना और नीरज के बीच गोल्ड के लिए टक्कर देखने को मिलेगी जो भारतीय फैंस के लिए किसी सपने के जैसा होगा.
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जेना के पिता ने कभी भी अपनी आर्थिक तंगी को आड़े नहीं आने दिया और उन्हें किसी भी चीज की कमी महसूस नहीं होने दी. किशोर जेना पहले वॉलीबॉल खेलते थे लेकिन 2015 में उन्होंने जैवलिन थ्रो करने का फैसला किया. इस खेल में आते ही उन्होंने भारत को सपने दिखाने शुरू कर दि एथे. उन्होंने नेशनल गेम्स में झंड़ा गाड़ा और फिर वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप के लिए क्ववालीफाई किया. जेना 2 साल से अपने घर नहीं जा पाए हैं और तैयारियों की वजह से भुवनेश्वर के स्पोर्ट्स हॉस्टल और पटियाला साई केंद्र में रह रहे थे.
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