Sumit Antil: सुमित अंतिल एक ऐसे युवा खिलाड़ी हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत और विलक्षण प्रतिभा से पैरालंपिक खेलों में भारत का नाम कई बार दुनिया में ऊंचा किया है. 1998 में हरियाणा के जिंद जिले में जन्मे सुमित ने बचपन से ही खेलों के प्रति गहरी रुचि दिखाई. आपको बता दें उनकी जिंदगी ने एक नया मोड़ लिया जब एक मोटरबाइक दुर्घटना के कारण उन्होंने अपने बाएं पैर का हिस्सा खो दिया. सुमित ने हाल ही में एक मीडिया चैनल को दिये इंटरव्यू में अपनी तुलना नीरज चोपड़ा से करने को लेकर खुलकर बात की है.
लगातार दो ओलंपिक में गोल्ड मेडल
सुमित ने इस कठिनाई को अपने सपनों के आड़े नहीं आने दिया. उन्होंने खेलों में अपना करियर बनाने का फैसला किया और भाला फेंकने की प्रतियोगिता में भाग लेना शुरू किया. उनकी मेहनत और लगन का फल तब मिला जब उन्होंने 2021 के टोक्यो पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर सभी को चकित कर दिया. यह क्षण न केवल सुमित के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक गर्व का पल था. सुमित की उपलब्धियां यहीं पर खत्म नहीं होतीं,उन्होंने हाल ही पेरिस ओलंपिक में एफ64 श्रेणी में 70.59 मीटर का रिकॉर्ड थ्रो करते हुए स्वर्ण पदक जीता. गौरतलब है कि, वह पहले भारतीय पुरुष और कुल मिलाकर दूसरे भारतीय बन गए हैं, जिन्होंने पैरा ओलंपिक खिताब को डिफेंड किया.
नीरज चोपड़ा से तुलना सही नहीं
टाइम्स ऑफ इंडिया को दिये एक इंटरव्यू में अपनी तुलना नीरज चोपड़ा से होने को लेकर कहा कि 'नीरज चोपड़ा की सलाह लेना मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित हुआ है. उन्होंने आगे कहा कि हम दोनों की तुलना करना थोड़ा बेकार लगता है क्योंकि एक पैर से फेंकना और दोनों पैरों से फेंकना बहुत अलग है. सुमित ने बतया कि,हम दोनों के बीच एक अच्छी बॉंडिंग है. उन्होंने आगे कहा,कि एक समय था जब पैरा एथिलिट के बारे में जानते भी नहीं थे.हालांकि, अब ऐसा नहीं है अब लोग हमारे खेल को देखते हैं ,हमारा उत्साह बढ़ाते हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि हमने अच्छा खेल दिखाया है.उन्होंने आगे कहा कि आज के समय में पैरा-एथलीटों का प्रदर्शन बेहतरीन हो रहा है.
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युवाओं के लिए प्रेरणा
आपको बता दें कि सुमित पेरिस ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने के बाद जब मीडिया से मुखातिब हुए थे तो उन्होंने बताया था कि नीरज चोपड़ा कि टीम के तरफ से उन्हें ये मैसेज मिला था कि,पेरिस का माहौल बहुत अच्छा है और यह एक शानदार अनुभव होगा, लेकिन कुछ नया करने की कोशिश मत करना. सुमित अंतिल का यह सफर न केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धियों का प्रतीक है, बल्कि यह उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा भी है जो किसी भी प्रकार की कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं. उनका मानना है कि प्रगति सकारात्मक है और वे इस बात पर गर्व करते हैं कि उन्हें सक्षम समझा जा रहा है.
सुमित की कहानी एक नए भारत की कहानी है, खेलों में अवसरों की कोई कमी नहीं है, और हर युवा खिलाड़ी अपनी मेहनत से अपने सपनों को साकार कर सकता है. उनकी प्रेरणादायक यात्रा से यह स्पष्ट है कि हिम्मत और मेहनत से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है.
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