डीएनए हिंदी: अंशुल जुबली (Anshul Jubli) को शायद अभी आप नहीं जानते होंगे, लेकिन यदि आपकी थोड़ी भी दिलचस्पी मिक्स्ड मार्शल आर्ट फाइटिंग की दुनिया में है तो ये नाम आपने सुन जरूर लिया होगा. उत्तराखंड निवासी अंशुल महज दूसरे भारतीय फाइटर हैं, जिन्हें अमेरिका की मशहूर मिक्स्ड मार्शल आर्ट फाइटिंग चैंपियनशिप UFC में एंट्री मिली है. अंशुल से पहले अल्टीमेट फाइटिंग चैंपियनशिप (Ultimate Fighting Championship) का कांट्रेक्ट पाने वाले इकलौते भारतीय फाइटर भरत कंडारे थे. हालांकि अंशुल ने कंडारे से भी एक कदम आगे का सफर तय कर लिया है. वे यूएफसी मुकाबला जीतने वाले पहले भारतीय भी हैं. कंडारे यह कारनामा नहीं कर पाए थे.
यूएफसी फाइट चैंपियन बनकर हासिल किया फुलटाइम कांट्रेक्ट
अंशुल ने साल 2022 में UFC लाइटवेट टूर्नामेंट में पहली बार शिरकत की थी. उन्होंने अपने पहले ही मैच में पैट्रिक शो उसामी को पटखनी दी तो सेमीफाइनल में कोरिया के क्यूंग प्यो किम को धूल चटाई. इसके बाद उन्होंने UFC फाइट नाइट के दौरान हुए फाइनल में इंडोनेशिया के जेका सारागिह को हराकर न केवल 50 हजार डॉलर का इनाम जीता बल्कि अपने लिए फुलटाइम यूएफसी कांट्रेक्ट भी हासिल कर लिया. इसी के साथ अब वे UFC के नए सीजन में दावेदार के तौर पर उतरने जा रहे हैं. उनके मुकाबले भारत में भी आप सोनी स्पोर्ट्स पर देख सकते हैं, जो इस टूर्नामेंट का ऑफिशियल ब्रॉडकास्टर है.
फिल्मी है अंशुल के फाइटर बनने की कहानी
देहरादून की हरी-भरी वादियों में रहने वाले अंशुल के फाइटर बनने की कहानी थोड़ी फिल्मी है. अंशुल पहले स्कूल टीचर बने और फिर इसके बाद उन्होंने फाइटिंग की दुनिया में एंट्री लेकर नाम कमाया. ये सुनकर शायद आपको बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार (Akshay Kumar) की फिल्म 'ब्रदर्स' की याद आ रही होगी, जिसमें ऐसे ही स्कूल टीचर के मार्शल आर्ट फाइटर बनने की कहानी दिखाई गई है. साल 2015 में उन्होंने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल यूनिवर्सिटी (Hemwati Nandan Bahuguna Garhwal University) से Bsc Mathmetics में ग्रेजुएशन की डिग्री ली और एक स्कूल टीचर के तौर पर काम करने लगे. इस दौरान वे भारतीय सेना में जाने के लिए कंबाइंड डिफेंस सर्विसेज (CDS) की भी तैयारी कर रहे थे. तभी उनके दोस्त के भाई ने उन्हें यूट्यूब पर MMA फाइटिंग के वीडियो दिखाए. अंशुल को वे वीडियो अच्छे लगे और वे खुद भी ये वीडियो देखने लगे. इसके बाद उन्होंने मार्शल आर्ट फाइटर बनने की सोची और मेहनत के बूते आखिरकार वे टीचर से फाइटर बन ही गए. हालांकि जब अंशुल से डीएनए हिंदी ने ये सवाल किया तो उन्होंने हंसते हुए कहा, मैंने ही अक्षय कुमार को उस फिल्म की स्टोरी दी थी. फिर सीरियस होकर बोले, अक्षय कुमार ने बहुत गजब काम किया था. मेरे लिए तो अभी काम करना बाकी है.
यूट्यूब वीडियो देखकर करते थे ट्रेनिंग
मूल रूप से उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के भटवाड़ी का निवासी अंशुल का बचपन अपने पिता की नौकरी के कारण पूरे भारत में बीता. उनके पिता सीमा सुरक्षा बल (BSF) के जवान थे. आखिर में उनका परिवार देहरादून में आकर बस गया. देहरादून में ट्रेनिंग कराने वाला कोई नहीं था तो यूट्यूब पर MMA कोच फिरास जहाबी (MMA Coach Firas Zahabi) के साथ ही जॉन डानाहेर (John Danaher) के वीडियो देखकर खुद तैयारी करने लगे. बाद में वे प्रोफेशनल करियर के लिए दिल्ली में क्रॉसट्रेन फाइट क्लब में ट्रेनिंग शुरू की.
टाइगर श्राफ की लीग में मिला पहला मौका
साल 2019 में अंशुल को पहला मौका बॉलीवुड एक्टर टाइगर श्राफ (Tiger Shroff) की मैट्रिक्स फाइट नाइट (MFN) में मिला. उनकी पहली MMA फाइट 29 जून, 2019 को मुंबई में संजीत बुधवार के खिलाफ हुई, जिसमें उन्होंने जीत हासिल की. इसके बाद उन्होंने कई मुकाबले जीते. तब उन्हें साल 2022 में यूएफसी लाइटवेट डिवीजन में पहली बार लड़ने का मौका मिला. इस मौके को अंशुल ने हाथ से जाने नहीं दिया और खिताब जीतकर अपने लिए फुलटाइम कॉन्ट्रेक्ट हासिल कर लिया.
सेना में जाने के लिए सर्टिफिकेट पाने को शुरू की थी फाइटिंग
अंशुल के मुताबिक, जब पहली बार मैंने MMA में जाने की सोची तो मेरे दिमाग में सिर्फ ये था कि इससे मुझे सेना में जाने में मदद मिलेगी. मेरे पास फाइटिंग का सर्टिफिकेट होगा तो मैं CDS इंटरव्यू में कह पाऊंगा कि मैं एक कॉम्बेट फाइटर हूं तो शायद मुझे इसका लाभ मिलेगा. फिर यह खेल इतना बढ़िया लगा कि मैं इसी का हो गया. कुछ समय के लिए मैंने बीच में बॉक्सिंग भी की, लेकिन असल मजा MMA में ही आया.
अंशुल से जब पूछा गया कि ग्रेजुएशन के समय जो उम्र हो जाती है तो खिलाड़ी पूरी तरह पक्का हो जाता है. आपने उस उम्र में खेल शुरू किया. ऐसा क्यों था तो उन्होंने कहा, शुरुआत में मेरा टारगेट महज सेना में जाने के लिए सर्टिफिकेट हासिल करना था. मैंने MMA की ट्रेनिंग 20 साल की उम्र में शुरू की थी. तब कोई कहता था कि MMA में करियर बनाना है तो मैं कहता था कि इसमें क्या करियर होगा. मैंने कभी ऐसा नहीं सोचा. मैं बस सर्टिफिकेट के लिए साल में 2 महीने ट्रेनिंग करता था. बाद में मैं इसके प्यार में पड़ गया. जब मैं ग्रेजुएट हो गया तो 23 साल की उम्र में मैंने इसे प्रोफेशनली अपनाया. उन्होंने कहा, उम्र मेरे आड़े इसलिए नहीं आई, क्योंकि बचपन से मैं कोई न कोई स्पोर्ट्स रेगुलर खेलता रहता था. इसलिए मेरा शरीर एथलीट का था.
'मैं अपने ही नहीं भरत के सपने भी पूरे कर रहा'
अंशुल ने कहा, ये बहुत अच्छा लगता है कि मैं इस लेवल पर पहुंचने वाला महज दूसरा भारतीय हूं. मुझसे पहले 2015 में भरत कंडारे ने UFC खेला था. वे कुछ कारणों से रेगुलर नहीं कर पाए. उनका भी सपना जीतना रहा होगा. मैं लकी हूं कि उनके भी सपने पूरे कर रहा हूं और अपने भी सपने पूरे कर रहा हूं. मैं इतने बड़े स्टेज पर इंडिया को रिप्रजेंट कर रहा हूं तो ये गजब की फीलिंग होती है.
'मम्मी अब मानी हैं कि हां मैंने ठीक किया'
अंशुल के मुताबिक, मेरा परिवार नौकरी छोड़कर खेलने के बिल्कुल पक्ष में नहीं था. सब लोग खिलाफ थे. अब जाकर मेरी मम्मी थोड़ा मानी हैं कि हां मैंने ठीक किया. बिना सरकारी नौकरी के भी ये लड़का कुछ कर लेगा. हालांकि उनकी गलती नहीं है, क्योंकि वे हमारा भला ही चाहते हैं. अंशुल का कहना है कि अब उनका अगला टारगेट वर्ल्ड चैंपियन बनना है और वे इसके लिए रात-दिन मेहनत कर रहे हैं.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.