डीएनए हिंदी: सियासत में परिवारवाद पर लगातार बहस हो रही है. दिग्गज राजनेता भी अपने फायदे के मुताबिक विरोधी दलों पर जमकर निशाना साध रहे हैं लेकिन जिस देश में क्रिकेट को धर्म माना जाता है, जिस मुल्क में क्रिकेट का एक आयोजन पर्व बन जाता है उस देश में क्रिकेट पर कुछ परिवार कब्जा जमाए बैठे हैं तो आइए जानते हैं सफेद जर्सी में जेंटलमैन गेम कहे जाने वाले क्रिकेट में पारदर्शिता और टैलेंट के नाम पर कितना गहरा अंधकार है.
सबसे पहले हम बात करेंगे केंद्रीय गृह अमित शाह के बेटे जय शाह की जो बीसीसीआई में सचिव का पदभार संभाल रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ मोदी मंत्रिमंडल में मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे महानारायण सिंधिया ग्वालियर डिवीजन क्रिकेट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष पद पर कुंडली जमाए हुए हैं. बात यहीं नहीं थमती है...केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के भाई अरुण धूमल भी बीसीसीआई के खजांची बने बैठे हैं.
गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन में वंशवाद
गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट धनराज नाथवानी के पिता परिमल नाथवानी भी जीसीए के वाइस प्रेसीडेंट रह चुके हैं और ये बात छिपी नहीं है कि धनराज किसकी बदलौत जीसीए पर डेरा जमाए हुए हैं.
बात बड़ोदा क्रिकेट एसोसिएशन की जाए तो प्रणव अमीन एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं और उनके पिता चिरायु अमीन बीसीए के अध्यक्ष और आईपीएल के अंतरिम चेयरमैन भी रह चुके हैं. चिरायु अमीन देश की जानी मानी हस्ती भी हैं.
सौराष्ट्र क्रिकेट भी वंशवाद के दंश से अछूता नहीं है...जहां क्रिकेट जगत के दिग्गज हस्ती निरंजन शाह के बेटे जयदेव शाह सौराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं बता दें कि निरंजन शाह एससीए और बीसीसीआई के सेक्रेटरी रह चुके हैं.
वहीं बड़ोदा क्रिकेट एसोसिएशन के दूसरे बड़े हस्ती जयवंत लेले का नाम भी शामिल है, जहां उनके बेटे अजीत लेले बीसीए में सेक्रेटरी हैं. बता दें कि जयवंत लेले जब तक जीवित थे उनकी तूती बीसीए और बीसीसीआई में चलती थी, जयवंत लेले बीसीए और बीसीसीआई के सेक्रेटरी भी रह चुके हैं.
कैब में भी परिवारवाद हावी
बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन (कैब) के पूर्व अध्यक्ष और बीसीसीआई के अध्यक्ष रह चुके जगमोहन डालमिया के बेटे अभिषेक डालमिया भी कैब पर कब्जा जमाए बैठे हैं. बता दें कि जगमोहन डालमिया कैब, बीसीसीआई और आईसीसी के अध्यक्ष रह चुके हैं. एक दौर ये भी था जब जगमोहन डालमिया न सिर्फ इंडियन क्रिकेट को डोमिनेट करते थे बल्कि वर्ल्ड क्रिकेट भी उनके इशारे पर नाचता था.
बीसीसीआई के प्रेसिडेंट सौरव गांगुली को कौन नहीं जानता है...उनके भाई स्नेहाशीष गांगुली कैब के खजांची और कैब के सदस्य भी हैं..सौरव गांगुली बीसीसीआई प्रेसिडेंट बनने के पहले कैब के सेक्रेटरी और प्रेसिडेंट रह चुके हैं.
दिग्गज राजनेता अरुण जेटली के बेटे राहुल जेटली भी दिल्ली एंड डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन का प्रेसिडेंट हैं, बता दें कि जेटली देश के बड़े पदों के अलावा डीडीसीए के प्रेसिडेंट और आईपीएल गवर्निंग काउंसिल के मेम्बर भी थे. अद्वैत मनोहर शशांक मनोहर के बेटे हैं, अद्वैत मनोहर विदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं और उनके पिता शशांक मनोहर VCA, BCCI, ICC के अध्यक्ष रह चुके हैं.
संजय बेहरा उड़ीसा क्रिकेट एसोसिएशन के सेक्रेटरी हैं और उनके पिता आशीर्वाद बेहरा OCA के सेक्रेटरी रह चुके हैं. महिम वर्मा क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के सेक्रेटरी हैं और उनके पिता पीसी वर्मा CAU के सेक्रेटरी रह चुके हैं. निधिपति सिंघानिया यूपी क्रिकेट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट हैं और उनके चाचा यदुपति सिंघानिया भी UPCA के प्रेसिडेंट रह चुके हैं. विपुल फड़के गोवा क्रिकेट एसोसिएशन के सेक्रेटरी हैं और उनके पिता विनोद फड़के भी GCA के सेक्रेटरी रह चुके हैं.
हालांकि ये तो क्रिकेट के जाने माने नाम है जो बोर्ड और क्लब पर कब्जा जमाए हुए हैं लेकिन इनकी आड़ में न जाने कितने गुट और सिंडिकेट बने बैठे हैं जो इंडियन क्रिकेट को हर दिन प्रभावित कर रहे हैं.
क्रिकेट में परिवारवाद पर लोगों का ये भी मानना है कि जब तक क्रिकेट में खानदानी लोगों का कब्जा है तब तक नई प्रतिभा से इंसाफ की बात बेमानी है क्योंकि जब प्रतिभावान खिलाड़ी को प्लेटफॉर्म नहीं मिलेगा तो स्टेट या नेशन में वो अपना टैलेंट नहीं दिखा सकता.
ऐसे में ये बात भले ही ठीक लगती है कि क्रिकेट वर्ल्ड में इंडिया अपनी पोजिशन बनाए हुए है लेकिन अगर क्रिकेट में कुछ परिवार लगातार कब्जा बनाए रखेंगे तो हुनरमंद खिलाड़ियों के लिए देश की टीम में जगह की बात एक सपने जैसी होगी.