IPL: क्यों उठी चेन्नई सुपर किंग्स का बायकॉट करने की मांग?

पुष्पेंद्र शर्मा | Updated:Feb 14, 2022, 07:55 PM IST

why chennai super kings boycott

RCB ने पिछले साल श्रीलंकाई खिलाड़ी दुष्मांता चमीरा और वानिंदु हसरंगा को शामिल किया था.

डीएनए हिंदी: आईपीएल की मेगा नीलामी (IPL Mega Auction) में खिलाड़ियों पर दो दिनों तक खूब पैसा बरसा. दो दिनों तक कुल 204 खिलाड़ी बिके और 551 करोड़ से ज्यादा खर्च हुए. इनमें 67 विदेशी खिलाड़ी शामिल रहे. आईपीएल की नीलामी पूरी होने के बाद सोशल मीडिया पर सोमवार को चेन्नई सुपर किंग्स का बायकॉट करने की मांग उठी. ट्विटर पर #boycotthychennaisuperkings को लेकर ट्रेंड चला. 

ये मांग क्यों उठी?
दरअसल सोशल मीडिया यूजर्स CSK की टीम में श्रीलंका के सिंहली खिलाड़ी महीश थीक्षाना (Maheesh Theekshana) को शामिल किए जाने से नाराज हैं. महीश श्रीलंका के खिलाड़ी हैं और यूजर्स उन्हें 'तमिल नरसंहार' से जोड़कर देख रहे हैं. यूजर्स का कहना है कि लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए पाकिस्तान की तरह श्रीलंकाई खिलाड़ियों को भी आईपीएल में जगह नहीं देनी चाहिए. 

एक यूजर रोहित ने लिखा, यदि आप आईपीएल में पाक खिलाड़ियों को अनुमति नहीं देते हैं तो आपको तमिलों की इस भावना को भी समझना चाहिए कि तमिलनाडु में वे श्रीलंकाई खिलाड़ी नहीं चाहते हैं. 

एक यूजर आदिश ने लिखा, खिलाड़ी को फ्रैंचाइजी से हटा दें या अपने नाम से 'चेन्नई' शब्द हटा दें. अगर आपको लगता है कि यह खिलाड़ी आपके लिए तमिलों की भावनाओं से ज्यादा महत्वपूर्ण है तो आपको आईपीएल में चेन्नई का प्रतिनिधित्व करने की जरूरत नहीं है. 

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आईपीएल 2021 में शामिल हुए थे ये खिलाड़ी 
आरसीबी ने पिछले साल श्रीलंकाई खिलाड़ी दुष्मांता चमीरा और वानिंदु हसरंगा को शामिल किया था. इस बार हसरंगा को आरसीबी ने 10.75 करोड़ में खरीदा है. इस बार आईपीएल में वानिंदु हसरंगा, दुष्मांता चमीरा और महीश थीक्षाना शामिल हुए हैं. दुष्मांता को लखनऊ सुपरजायंट्स ने खरीदा है. 


क्या है तमिल नरसंहार?

तमिल नरसंहार को ब्लैक जुलाई के रूप में जाना जाता है. 23 जुलाई 1983 को श्रीलंका में तमिलों के विरुद्ध सिंहलों द्वारा किए गए दंगों का नाम 'ब्लैक जुलाई' है. 1983 में तमिल विद्रोही संगठन एलटीटीई के अलगाववादियों ने सेना के एक गश्ती दल पर हमला कर 13 सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया. इसके बाद सिंहला लोग उग्र हो गए और उन्होंने दो दिनों तक जमकर हमले किए.

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इस नरसंहार में करीब 3000 लोगों की मौत का अनुमान लगाया गया था. कई तमिलों को मौत के घाट उतार दिया गया. हजारों घर तबाह हो गए और इस कारण हजारों तमिलों ने श्रीलंका छोड़कर विदेशी शरण की मांग की. 

जुलाई 1983 में यह श्रीलंका में तमिल उग्रवदियों एवं श्रीलंका सरकार के बीच गृहयुद्ध का कारण बन गया. श्रीलंका के तमिल लोगों के लिए यह दुखद स्मरण का दिन हे. गैर-सरकारी संस्थाओं के अनुसार श्रीलंका के स्थानीय तमिल और भारत से बसे हुए तमिल भी मौजूद हैं. 

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रिपोर्टों के अनुसार, भारत में 94,069 श्रीलंकाई तमिल शरणार्थी हैं, जिनमें से कई पूरे तमिलनाडु में 107 शिविरों में रह रहे हैं. गृह मंत्रालय ने एक रिपोर्ट में कहा था कि गृह युद्ध के दौरान 1983 और 2012 के बीच 3 लाख से अधिक शरणार्थी भारत आए थे. यह श्रीलंका में सिंहला और तमिल लोगों के बीच उपजे विवाद का ही परिणाम था. सिंहली सैनिकों पर 2009 में लिट्टे के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के दौरान श्रीलंका में तमिलों के खिलाफ युद्ध अपराध करने का आरोप है. 

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