Jharkhand में भारी बिजली कटौती से परेशान साक्षी धोनी, सरकार से पूछ लिया तीखा सवाल 

Written By पुष्पेंद्र शर्मा | Updated: Apr 26, 2022, 09:25 PM IST

धोनी की पत्नी ने 3 साल में दूसरी बार यह मुद्दा उठाया है. 
 

Sakshi Dhoni ने करीब 3 साल पहले भी बिजली संकट का मुद्दा उठाया था.

डीएनए हिंदी: झारखंड इन दिनों बिजली की कटौती से जूझ रहा है. गर्मी बढ़ने के साथ ही बिजली कटौती को लेकर लोगों की परेशानियां भी बढ़ गई हैं. ऐसे में भारत और चेन्नई सुपर किंग्स के पूर्व कप्तान एमएस धोनी ने सरकार से सीधा सवाल पूछा है. MS धोनी की पत्नी साक्षी धोनी (Sakshi Dhoni) ने ट्वीट कर कहा, झारखंड के एक करदाता के रूप में सिर्फ यह जानना चाहते हैं कि यहां इतने सालों से बिजली संकट क्यों है? हम जिम्मेदारी से सुनिश्चित कर अपनी भूमिका निभा रहे हैं ताकि ऊर्जा की बचत कर सकें. 

साक्षी ने करीब 3 साल पहले भी बिजली संकट का मुद्दा उठाया था. 19 सितंबर 2019 को उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि रांची के लोगों को आए दिन बिजली कटौती का सामना करना पड़ता है. प्रतिदिन चार से सात घंटों के लिए बिजली कटौती की जा रही है. आज यानी 19 सितंबर 2019 को बीते पांच घंटे से बिजली नहीं है. साक्षी ने आगे कहा था कि आज बिजली कटौती का कारण समझ नहीं आता क्योंकि मौसम सही है और आज कोई त्योहार भी नहीं है. मुझे उम्मीद है कि इस समस्या का संबंधित अधिकारियों द्वारा समाधान निकाला जाएगा. हालांकि इसके बावजूद झारखंड में हालात जस के तस बने हुए हैं. 

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झारखड में क्यों हो रही है बिजली कटौती?
राज्य में लोड शेडिंग यानी मांग एवं आपूर्ति के बीच संतुलन पैदा करने के लिए की जाने वाली बिजली कटौती के कारण संकट बढ़ गया है. बीती रात इंडियन एनर्जी एक्सचेंज से बिजली नहीं मिल पाने से मांग की तुलना में बिजली की उपलब्धता आधी ही रह गई. जानकारी के अनुसार, सुबह से शाम तक लगातार 400 मेगावाट की कमी बनी रही.

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औसतन शहरों में पांच घंटे और ग्रामीण इलाकों में सात घंटे से भी अधिक बिजली कटौती की जा रही है. बोर्ड परीक्षाएं नजदीक होने से छात्रों की चिंता बढ़ गई है. अधिकारियों के मुताबिक राज्य में बिजली की मांग 2600 मेगावाट तक जा रही है लेकिन आपूर्ति 2000 से 2100 मेगावाट तक ही हो पा रही है. गर्मी के चलते राज्य की डिमांड 2500 मेगावाट से अधिक है. 23 अप्रैल को आधुनिक पावर यूनिट में उत्पादन प्रभावित होने की वजह से यह संकट बढ़ गया है. विद्युत संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति में कमी के चलते ऊर्जा संकट का खतरा पैदा हो गया है. 

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