डीएनए हिंदी: मुंबई के प्रवीण तांबे की जिंदगी पर बनी फिल्म इन दिनों सुर्खियों में है. फिल्म में इस गेंदबाज की जिंदगी और संघर्षों को दिखाया गया है. 41 साल की उम्र में कोच राहुल द्रविड़ की वजह से उन्हें आईपीएल में डेब्यू का मौका मिला था. उन्हें मौके भले ही न मिले हों लेकिन उन्होंने खेल के लिए अपना प्यार कभी नहीं छोड़ा था. तांबे का सपना क्रिकेट खेलने का था और इसके लिए उन्होंने गरीबी में भी लगातार मेहनत की और अपनी फिटनेस का ध्यान रखा था.
फिटनेस पर की थी कड़ी मेहनत
एक अंग्रेजी मीडिया समूह को दिए अपने इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि उनकी यात्रा बहुत मुश्किल थी. वह एक गरीब परिवार से आते हैं और क्रिकेट के लिए जरूरी सुविधाओं का उनके पास अभाव था. इसके अलावा, उन्हें अपनी फिटनेस पर भी बहुत मेहनत करनी पड़ती थी. बिना किसी गाइडेंस के यह सब करना मुश्किल था. पीटी के नाम से मशहूर इस खिलाड़ी ने कहा कि उन्होंने हमेशा अपनी फिटनेस पर ध्यान दिया था और खाने-पीने से लेकर स्टेमिना बढ़ाने तक बहुत मेहनत की थी. वह रोज नेट्स में घंटों पसीना बहाते थे.
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कलाइयों से करते थे कमाल, खास शैली बनाई
प्रवीण तांबे एक खास शैली का रनअप लेने के बाद स्टंप्स के पास आते हैं. इसके बाद थोड़ा अलग सा एंगल लेकर अपने हाथ की कलाई को एक खास मुद्रा में घुमाते हैं. गेंद की गति, टप्पा खाने के बाद उसकी राह में बदलाव और उछाल के बाद गेंद के घूमने का सारा करिश्मा प्रवीण तांबे की ये खास तरह से घूमी कलाई ही करती है.
केकेआर के साथ जुड़कर खुश हैं
तांबे इस वक्त केकेआर के कोचिंग स्टाफ में हैं. अपनी फिल्म की प्रीमियर के दौरान उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि केकेआर जैसी फ्रेंचाइजी से जुड़कर वह खुश हैं. बायोपिक में अपना संघर्ष देखकर वह काफी भावुक भी हो गए थे.
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