डीएनए हिंदी: Shubman Gill Profile- भारतीय बल्लेबाज शुभमन गिल (Shubman Gill) बेहद टेलेंटेड हैं. जूनियर क्रिकेट से सीनियर टीम तक के उनके सफर में इस बात पर शायद ही कभी किसी को कोई शक रहा है, लेकिन बुधवार को उन्होंने अपने टेलेंट को एक अलग ही लेवल पर पहुंचा दिया. गिल ने न्यूजीलैंड के खिलाफ वनडे सीरीज के पहले मैच में हैदराबाद के डेक्कन में दोहरा शतक ठोककर दर्जनों रिकॉर्ड एक साथ अपने नाम कर लिए. ये रिकॉर्ड शायद आगे कोई और प्लेयर तोड़ देगा, लेकिन इस पारी में गिल का एक कारनामा शायद ही कभी कोई भूल पाएगा. ये कारनामा था एक के बाद एक छक्कों की बौछार लगाना. खासतौर पर दोहरा शतक पूरा करने के लिए गिल ने जिस तरह तीन लगातार छक्के लगाए, उसके बाद उनका नाम 'सिक्सर किंग' पड़ जाए तो शायद ही किसी को आश्चर्य होगा. क्या आपने शुभमन गिल के इंटरनेशनल करियर के आंकड़े देखें हैं? यदि नहीं देखें हैं तो अब जरूर देखिए. शुभमन गिल ने अपने अब तक के वनडे क्रिकेट करियर में 57% रन बाउंड्री लगाकर जुटाए हैं यानी उन्हें एक या दो रन भागकर लेने के बजाय चौका या छक्का लगाना ज्यादा पसंद है. क्या आप जानते हैं कि गोली की गति से बल्ले से लगने के बाद गेंद को बाउंड्री के पार पहुंचाने वाली गिल की ताकत का एक 'पहलवान कनेक्शन' भी है? नहीं जानते हैं तो कोई बात नहीं, चलिए हम आपको बताते हैं.
पहले देख लेते हैं गिल के वनडे स्टेट्स का लेखा-जोखा
शुभमन गिल ने 19 वनडे मैच की 19 पारियों में 1,102 रन बनाए हैं. वे अब तक 3 शतक (एक दोहरा शतक) और 5 फिफ्टी लगा चुके हैं. इन 1,102 रन के लिए गिल ने 123 चौके और 22 छक्के लगाए हैं यानी वे अब तक 492 रन चौकों की मदद से बना चुके हैं तो 132 रन उनके खाते में गेंद को सिक्स के लिए बाउंड्री पार कराने से आए हैं. इस तरह 1,102 रन में से करीब 57% यानी 624 रन गिल ने गेंद को बाउंड्री के पार चौके या छक्के के लिए पहुंचाकर बनाए हैं.
अब जानते हैं गिल के चौके-छक्कों का पहलवान कनेक्शन
शुभमन गिल का परिवार पंजाब के फजिल्का इलाके का रहने वाला है. गिल का जन्म 8 सितंबर, 1999 को हुआ था. गिल भले ही बचपन से गेंद-बल्ला खेलने लगे, लेकिन उनके बाबा दीदार सिंह की तमन्ना उन्हें पहलवान बनाने की थी. दरअसल दीदार सिंह खुद भी एक अच्छे पहलवान और उससे भी ज्यादा जोरदार कबड्डी प्लेयर थे. फजिल्का इलाके में उन्हें बेहतरीन खिलाड़ी माना जाता था. दीदार सिंह का सपना शुभमन गिल के पिता लखविंदर सिंह को पहलवान बनाने का था. लखविंदर सिंह इसके लिए जोरदार मेहनत भी करते थे, लेकिन एक एक्सीडेंट में उनकी जांघ की हड्डी टूट गई. इससे लखविंदर सिंह को पहलवानी बीच में ही छोड़नी पड़ी. इसके बाद बाबा दीदार सिंह शुभमन को पहलवान बनाना चाहते थे, इसलिए बचपन से जहां शुभमन क्रिकेट खेलते थे, वहीं दीदार सिंह उन्हें पहलवानों वाली एक्सरसाइज कराते थे. इससे शुभमन के हाथों और कंधों में पहलवानों जैसी ही ताकत है और इस ताकत के साथ जब उनकी बैटिंग की टाइमिंग मेल खाती है तो गेंदबाज कोई भी हो, पर गेंद बाउंड्री के पार ही दिखाई देती है.
खेत के मजदूरों से गेंदबाजी कराते थे पिता
शुभमन के पिता लखविंदर ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उसे बचपन से ही अन्य खिलौनों के बजाय केवल बैट-बॉल से लगाव था. वह रात में भी बैट-बॉल को गले लगाकर सोता था. उसका लगाव देखकर उन्होंने घर में ही प्रैक्टिस के लिए नेट लगवा दिया था. वे खेतों में अपने मजदूरों से शुभमन को गेंदबाजी कराया करते थे, जहां शॉट खेलने पर कोई पाबंदी नहीं थी. इसी आदत के कारण शुभमन बड़े शॉट खेलने से झिझकता नहीं है.
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शुभमन की क्रिकेट के लिए किराये के मकान में शिफ्ट हुआ परिवार
लखविंदर के मुताबिक, शुभमन की क्रिकेट को बेहतरीन प्रैक्टिस की जरूरत थी, जो फजिल्का में संभव नहीं थी. इसी कारण वे उसे बढ़िया प्रैक्टिस दिलाने के लिए फजिल्का छोड़कर पूरे परिवार के साथ मोहाली एक किराये के मकान में रहने चले आए थे. यहां उन्होंने आईएस बिंद्रा इंटरनेशनल स्टेडियम के करीब ही घर किराये पर लिया और एक एकेडमी में शुभमन की प्रैक्टिस शुरू करा दी. इसके बाद शुभमन लगातार इतिहास रचता चला गया.
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