डीएनए हिंदी: टी 20 वर्ल्ड कप 2021 में भारत को शुरुआती दो मैचों में पाकिस्तान और न्यूजीलैंड से हार का सामना करना पड़ा. भारत के दो मैच हारते ही टीम के सेमिफाइनल में पहुंचने की संभावना बेहद कम हो गई. इस संभावना ने वर्ल्ड कप का रोमांच खत्म कर दिया. यही वजह है कि क्रिकेट की शीर्ष संस्था आईसीसी को इसका खामियाजा उठाना पड़ेगा. भारतीय टीम भले ही अगले तीन मुकाबले जीत गई हो लेकिन बड़े मुकाबलों में भारत की हार आईसीसी के नुकसान की बड़ी वजह बन गई.
दर्शकों की संख्या में गिरावट
दरअसल, भारत की लगातार दो हार के बाद दर्शकों की संख्या में गिरावट आ गई थी. कई खेल विशेषज्ञों का कहना है कि आईसीसी के अगले राइट्स साइकिल को ये निश्चित तौर पर प्रभावित करेगी.
भले ही आईसीसी ने दुनिया भर में "रिकॉर्ड दर्शकों की संख्या" का दावा किया है लेकिन तथ्य यह कि टूर्नामेंट ने 2016 के संस्करण की तुलना में भारतीय दर्शकों को कम आकर्षित किया. यही वजह अगले आईसीसी ईवेंट्स में आईसीसी के आर्थिक नुकसान की वजह बन सकती है.
विज्ञापनदाताओं को नुकसान
स्टार और डिजनी इंडिया वर्ल्ड कप के वर्तमान में मीडिया राइट्स होल्डर हैं. 2021 वर्ल्ड कप में भारत में टूर्नामेंट की दर्शक संख्या 284 मिलियन रही, जो 2016 में 293 मिलियन तक पहुंच गई थी.
खास बात ये है कि इस साल विज्ञापनदाताओं ने पिछले बार के मुकाबले लगभग चार गुना अधिक भुगतान किया था लेकिन उन्हें उम्मीद के मुताबिक दर्शक नहीं मिले. मैचों की बढ़ी हुई संख्या, सुपर 12 चरण में भारत के टूर्नामेंट से बाहर होने और दो कमजोर क्वालीफायर इसका कारण बने.
जानकारी के मुताबिक स्टार और डिजनी इंडिया ने टीवी और डिजिटल पर अपनी पूरी विज्ञापन सूची को 1,200 करोड़ से अधिक में बेच दिया था. 2016 में ये 370 करोड़ में दिए गए थे. टीवी विज्ञापनदाताओं ने प्रति 10 सेकंड स्पॉट के लिए 9 से 10 लाख रुपए खर्च किए थे. इसके बावजूद उन्हें दर्शक नसीब नहीं हुए. रिपोर्ट के मुताबिक, फाइनल में दर्शकों की संख्या अच्छी रही लेकिन बाकी टूर्नामेंट में अपेक्षा से बहुत कम रही.
जानकारों का ये भी कहना है कि भविष्य में आईसीसी कुछ टूर्नामेंट्स के लिए और टीमों को जोड़ना चाहता है. यूएस, वेस्ट इंडीज, न्यूजीलैंड को मेजबान देशों के रूप में जोड़े जाने की संभावना है लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारतीय प्रसारकों के साथ काम नहीं करेगा.
दर्शकों के हिसाब से भारत सबसे बड़ा मार्केट है. यदि आईसीसी अन्य देशों में क्रिकेट का विस्तार करना चाहती है, तो यह भारत की कीमत पर नहीं हो सकता. कई विशेषज्ञों का कहना है कि विज्ञापनदाता ऐसे में आईपीएल और बीसीसीआई के अन्य ईवेंट्स में पैसा लगाना ज्यादा पसंद करेंगे.