U19 World Cup: Raj Bawa और Angkrish Raghuvanshi का तूफान, टीम इंडिया ने ठोके 405 रन, देखें Video

Written By पुष्पेंद्र शर्मा | Updated: Jan 22, 2022, 11:08 PM IST

raj bawa and angkrish raghuvanshi

अंडर 19 वर्ल्ड कप में भारत का यह दूसरा सर्वोच्च स्कोर है.

डीएनए हिंदी: टीम इंडिया ने युगांडा के खिलाफ अंडर 19 वर्ल्ड कप के मुकाबले में ऐसी ताबड़तोड़ बल्लेबाजी की कि दुनिया दंग रह गई. पहले बल्लेबाजी करने उतरी भारतीय टीम की ओर से ओपनर अंगक्रिश रघुवंशी ने तूफानी अंदाज में 22 चौके और 4 छक्के ठोक 120 गेंदों में 144 रन ठोक डाले. 

हरनूर सिंह और कप्तान निशांत संधू के बाद मैदान पर आए चौथे नंबर के बल्लेबाज राज बावा ने गदर मचा दिया. उन्होंने 50 ओवर तक 162 रन की नाबाद पारी खेली और टीम इंडिया को 405 के स्कोर तक पहुंचा दिया. राज ने 14 चौके और 8 छक्के ठोक गेंदबाजों की नींद उड़ा दी. उन्होंने 150 से ज्यादा की स्ट्राइक रेट से रन ठोके. कौशल तांबे ने 15 और दिनेश बाना ने 22 रनों का योगदान दिया. 

भारतीय टीम का दूसरा सर्वोच्च स्कोर 
यह भारतीय टीम का अंडर 19 वर्ल्ड कप में दूसरा सबसे बड़ा स्कोर है. इससे पहले भारतीय टीम ढाका में स्कॉटलैंड के खिलाफ 425 रन बना चुकी है. खास बात यह है कि भारतीय टीम का स्थान टॉप 5 में दो बार है. वर्ल्ड कप में अब तक का सबसे बड़ा स्कोर 480 रन है. AUS ने इसे 2004 में केन्या के खिलाफ बनाया था. भारतीय टीम ने ऐसे मुश्किल हालातों में इतिहास दोहराने का काम किया है जब​ भारत की आधा दर्जन से ज्यादा टीम कोविड पॉजिटिव है. 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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शानदार औसत 
19 साल के राज बावा हिमाचल प्रदेश के नाहन के रहने वाले हैं. वह एक शानदार ऑलराउंडर के तौर पर पहचान रखते हैं. राज अब तक 7 मैचों की 6 ईनिंग में 12 विकेट चटका चुके हैं. जबकि बल्लेबाजी में उनका औसत 74 से ज्यादा का है. बावा ने 7 मैचों की 6 ईनिंग में 298 रन बनाए हैं. 

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राज बावा ने अंडर 19 वर्ल्ड कप में साउथ अफ्रीका के खिलाफ मुकाबले में 6.4 ओवर में 47 रन देकर 4 विकेट चटकाए थे. इस जीत में उनकी बड़ी भूमिका रही. गेंदबाज अंडर 19 एशिया कप में भी चमके थे. 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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कौन हैं राज बावा?
राज के परिवार के पास स्पोर्ट्स की लेगेसी है. उनके पिता सुखविंदर बावा भारत के दिग्गज क्रिकेटर युवराज सिंह के बचपन के कोच थे. उन्होंने पंजाब में कई घरेलू क्रिकेटरों की कोचिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. 

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वहीं उनके दादा तरलोचन बावा 1950 के दशक से पहले हॉकी खिलाड़ी थे. वह 1948 के लंदन ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम का हिस्सा रह चुके हैं. तरलोचन जापान में टेस्ट मैच खेलने वाली हॉकी टीम के कप्तान भी थे. उन्होंने 11 साल तक पंजाब का प्रतिनिधित्व किया और कई मौकों पर यूनिट का नेतृत्व भी किया है.