डीएनए हिंदी: देश की राजधानी दिल्ली और एनसीआर की हवा जनवरी के बाद से वायु प्रदूषण (Delhi Airpollution) के अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है. जानकारी के मुताबिक Delhi-NCR के कुछ क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता "गंभीर" श्रेणी पर पहुंच गई है. नवीनतम पूर्वानुमान के अनुसार यह अगले तीन दिनों में खराब होने और "बहुत खराब" श्रेणी में भी पहुंच सकती है.
रिपोर्ट्स के अनुसार दिल्ली के आनंद विहार में शाम 4 बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक 455 था, जिससे यह यहां के सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में से एक बन गया है. शाम 5 बजे दिल्ली का AQI 357, गाजियाबाद में 384, नोएडा में 371, ग्रेटर नोएडा में 364 और फरीदाबाद में 346 था.
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दिल्ली ही नहीं पंजाब से लेकर उत्तर प्रदेश और बिहार तक में 34 भारतीय शहरों में वायु गुणवत्ता 'बहुत खराब' श्रेणी में है. आपको बता दें कि शून्य से 50 के बीच AQU को 'अच्छा', 51 और 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 और 200 को 'मध्यम', 201 और 300 को 'खराब', 301 और 400 के बीच 'बहुत खराब' और 401 और 500 को 'गंभीर' माना जाता है.
दिल्ली के वायु प्रदूषण को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि हवा की गुणवत्ता में गिरावट हवा की दिशा और हवा की गति के कारण है. वहीं पराली जलने से हवा की गुणवत्ता और तेजी से खराब हो रही है. दिवाली के आसपास प्रदूषण 7 वर्षों में सबसे कम था, क्योंकि मौसम की स्थिति गेम चेंजर थी. दिल्ली में हवा की गुणवत्ता 24 अक्टूबर से खराब होने लगी थी और एक्यूआई 'खराब' से 'बहुत खराब' श्रेणी में आ गया था.
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तापमान और हवा की गति में गिरावट और लोगों द्वारा पटाखे जलाने और खेतों में पराली जलाने में वृद्धि के कारण 23 अक्टूबर की रात को प्रदूषण का स्तर बढ़ गया था. वायु प्रदूषण के चलते GRAP के चरण II में होटल, रेस्तरां और खुले भोजनालयों में कोयले और जलाऊ लकड़ी के उपयोग पर प्रतिबंध लगाना शामिल है. आवश्यक सेवाओं को छोड़कर डीजल जनरेटर के उपयोग पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है.
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