डीएनए हिंदी: अरविंद केजरीवाल की दिल्ली सरकार (Delhi Government), वर्ल्ड क्लास एजुकेशन का दावा तो करती है लेकिन दिल्ली यूनिवर्सिटी (Delhi University) के कई टीचर बीते कई महीनों से सैलरी ना मिलने या फिर सैलरी में अनियमितता के चलते सड़क पर उतरने को मजबूर हो गए हैं. दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 12 कॉलेजों में अनियमित, अपर्याप्त ग्रांट और कॉलेज ऑफ आर्ट को दिल्ली विश्वविद्यालय से अलग किए जाने को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय के टीचर्स ने बड़ी संख्या में विरोध प्रदर्शन किया. नाराज़गी जताते हुए टीचर्स ने कहा कि वेतन शिक्षक का अधिकार है. वेतन को समय पर जारी न करने को लेकर दिल्ली सरकार पर अमानवीयता और असंवेदनशीलता का आरोप लगाया.
दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (DUTA) के मुताबिक अनियमित और अपर्याप्त ग्रांट देना अमानवीय और अवैधानिक है. आपको बता दें कि डीयू के 12 कॉलेजों को 22 अप्रैल तक वेतन आदि के लिए सहायता अनुदान जारी किया गया था लेकिन दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन का कहना है कि बजट आवंटन में पहले क्वार्टर के हिस्से के रूप में जारी की गई राशि टीचर्स और स्टाफ के 3 महीने के पूरे वेतन का भुगतान करने के लिए पर्याप्त नहीं था. इसी वजह से शिक्षकों और स्टाफ को फिर से वेतन के लिए इंतजार करना पड़ रहा है. आपको बता दें कि दिल्ली सरकार द्वारा पूर्णतया वित्त पोषित 12 कॉलेजों में स्टाफ/ टीचर में किसी को 2-3 महीने तो किसी को 7 महीने से वेतन नहीं मिला है.
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दिल्ली सरकार से मांग कर रहा है DUTA
DUTA की मांग के मुताबिक, दिल्ली सरकार को तुरंत प्रभाव से ग्रांट जारी करना चाहिए ताकि 12 पूर्ण वित्त पोषित कॉलेज कर्मचारियों और शिक्षकों का समय पर वेतन, मेडिकल एरियर्स, एल टी सी ,चिल्ड्रन एजुकेशन एलाउंस साथ ही अन्य सुविधाएं मिल सकें. दिल्ली सरकार से यह भी मांग की गई है कि प्रमोशन और आम रख-रखाव के लिए भी समय पर ग्रांट उपलब्ध कराई जाए. आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के आरक्षण (EWS) को लागू करने के लिए अतिरिक्त सीटें भी उपलब्ध कराई जाएं. अतिरिक्त कर्मचारी और शिक्षण पदों की स्वीकृति भी तुरंत प्रदान की जाए. डूटा अध्यक्ष डॉ. भागी के आरोप के मुताबिक, दिल्ली सरकार का दिल्ली यूनिवर्सिटी को पत्र जारी कर कॉनस्टिट्यूएंट कॉलेजों को एफिलिएटेड कॉलेज कहना बताता है कि दिल्ली सरकार इन कॉलेजों की स्थिति को बदलना चाहती है.
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डूटा के अध्यक्ष के मुताबिक, नियमित और पर्याप्त ग्रांट की समस्या को लेकर उपराज्यपाल, मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री सभी से गुहार लगा चुके हैं. नेता प्रतिपक्ष रामबीर बिधूड़ी तो इस संबंध में लिखित रूप से सरकार से जल्द राहत की मांग कर चुके हैं. इसके बावजूद राहत न मिलना दिल्ली सरकार के स्तर पर जारी गैर जिम्मेदार रवैये को दर्शाता है. इन टीचर्स का आरोप है कि बार बार पत्र लिखने, विरोध प्रदर्शन करने के बाद भी सरकार के बेफिक्र रवैये से साफ है कि उसकी नीयत में खोट है और वह शिक्षकों को राहत देने के लिए तैयार नहीं है.
दिल्ली सरकार की फंडिंग पर चलते हैं ये 12 कॉलेज
केशव महाविद्यालय, दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज, भीमराव अंबेडकर कॉलेज, शहीद राजगुरु कॉलेज ऑफ एप्लाइड साइंस, इंदिरा गांधी फिजिकल एजुकेशन, महाराजा अग्रसेन कॉलेज, भाष्कराचार्य कॉलेज, आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज, महर्षि वाल्मीकि कॉलेज, भगिनी निवेदिता कॉलेज, अदिति महाविद्यालय, शहीद सुखदेव कॉलेज.
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