Video: मां की लाश ले जाने को नहीं मिली एंबुलेंस, बाइक पर शव बांधकर ले गए बेटे

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Aug 05, 2022, 08:24 AM IST

MP News: मां की मौत के बाद मृतका के बेटे सुंदर यादव ने जिला अस्पताल की नर्सों पर इलाज के दौरान लापरवाही का आरोप लगाया है. सुंदर यादव का कहना है कि उनकी मां के इलाज में लापरवाही बर्ती गई. अगर उन्हें सही इलाज मिलता तो आज वो जिंदा होती.

डीएनए हिंदी: मध्य प्रदेश से एक दिल झकझोर देने वाला मामला सामने आया है. यहां वाहन ना मिलने के चलते दो भाइयों को अपनी मां का शव बाइक पर बांधकर 80 किमी दूर अपने घर ले जाना पड़ा. मामले को लेकर भाइयों का कहना है कि उन्हें न तो अस्पताल में इलाज मिला और न ही शव वाहन. 'हमने प्राइवेट शव वाहन की भी तलाश की लेकिन वे 5 हजार रुपये मांग रहे थे. इतने पैसे हमारे पास नहीं थे इसलिए हमें ऐसा कदम उठाना पड़ा.' जानकारी के अनुसार, घटना बीते रविवार की है जिसका एक वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. वायरल वीडियो को देखने के बाद लोगों में आक्रोष है. यूजर्स जिला अस्पताल पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. 

क्या है पूरा मामला?
मृतक महिला का नाम जयमंत्री यादव बताया जा रहा है.  जयमंत्री मध्य प्रदेश के अनूपपुर के गोडारू गांव की रहने वाली थी. बीते दिनों सीने में तकलीफ होने के कारण परिजनों ने उन्हें जिला अस्पताल शहडोल में भर्ती कराया था. हालत में सुधान ना होने के चलते शनिवार रात 11 बजे उन्हें मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर किया गया. यहां इलाज के दौरान रात 2.40 बजे उनकी मौत हो गई. 

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इधर, मां की मौत के बाद मृतका के बेटे सुंदर यादव ने जिला अस्पताल की नर्सों पर इलाज के दौरान लापरवाही का आरोप लगाया है. सुंदर यादव का कहना है कि उनकी मां के इलाज में लापरवाही बर्ती गई. अगर उन्हें सही इलाज मिलता तो आज वो जिंदा होती. सुंदर यादव ने मेडिकल अस्पताल प्रबनधन को उनकी मां की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया है. इसके अलावा उन्होंने बताया, 'मां के निधन के बाद हमने अस्पताल से शव वाहन की मांग की लेकिन किसी ने हमारी बात नहीं सुनी. पैसे नहीं थे इसलिए प्राइवेट शव वाहन भी नहीं मंगा सके. लिहाजा सौ रुपए की एक लकड़ी की पटरी खरीदी और फिर मां के शव को बाइक पर बांधकर शहड़ोल से अनूपपुर जिले के गुड़ारु गांव पहुंचे.'

 

 

इधर, घटना का वीडियो सामने आने के बाद मेडिकल कालेज के डीन डॉक्टर मिलिंद सिरलकर का कहना है कि मरीज की दोनों भाइयों द्वारा लगाए गए आरोप झूठे हैं. जयमंत्री की मृत्यु के बाद परिजन बिना बताए उनके शव को लेकर चले गए. डीन का कहना है कि मृतका के परिजनों ने अस्पताल से शव वाहन की मांग की ही नहीं थी.

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