तकिये के नीचे फोन रखकर सोते हैं तो हो जाएं सावधान, नींद उड़ाने से लेकर कैंसर तक को दावत दे रहे हैं आप

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Mar 03, 2023, 11:32 AM IST

प्रतीकात्मक फोटो

डब्ल्यू एच ओ ने अपने एक रिपोर्ट में दावा किया है कि इससे ग्लियोमा नाम के मस्तिष्क कैंसर का जोखिम काफी बढ़ जाता है.

डीएनए हिंदीः आज के समय में मोबाइल फोन हमारे जीवन का हिस्सा बन चुका है. हम खाने-पीने से लेकर उठते-बैठते, सोते-जागते हर समय फोन का इस्तेमाल करते हैं. यहां तक की सोते समय में भी हम फोन का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में यदि आप भी बिस्तर पर अपने फोन पर ज्यादा समय बिताते हैं या फिर उसे तकिए के नीचे रख कर सोते हैं तो आपको सावधान होने की जरूरत है क्योंकि इससे आपको बड़ा नुकसान हो सकता है. 

प्यू रिसर्च ने अपने रिपोर्ट में खुलासा किया है कि 68 प्रतिशत व्यस्क और 90 प्रतिशत किशोर अपने मोबाइल को साथ लेकर सोते हैं. ऐसे में यदि आप इन लोगों में शामिल हैं तो आपको सावधान होने की जरूरत है. चलिए जानते हैं कि आखिर मोबाइल को पास रखने को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) क्या कहता है और आपको फोन को कितनी दूर रखकर सोना चाहिए.

क्‍या कहता है WHO ?

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सोते समय मोबाइल पास रखने के खतरों को लेकर आगाह किया है. WHO ने कहा है कि इसका रेडिएशन सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और प्रजनन क्षमता को भी कमजोर कर सकता है. मोबाइल से निकलने वाली नीली रोशनी नींद को पैदा करने वाले हार्मोंस का बैलेंस बिगाड़ सकती है जिससे सोने में परेशानी हो सकती है और आपकी बायोलॉजिकल क्लॉक बिगड़ जाती है. 

हो सकता है कैंसर

WHO ने यह भी कहा है कि मोबाइल रेडिएशन से कैंसर भी हो सकता है. डब्ल्यू एच ओ ने अपने एक रिपोर्ट में दावा किया है कि इससे ग्लियोमा नाम के मस्तिष्क कैंसर का जोखिम काफी बढ़ जाता है. इसलिए सोने के एक घंटे पहले ही मोबाइल का इस्तेमाल पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए और इसका जरूरत पड़ने पर ही इस्तेमाल करना चाहिए. फोन का रेडिएशन मष्तिष्क के साथ-साथ हार्ट के लिए भी खतरनाक हो सकता है.

इतनी दूरी पर रखें मोबाइल

अगर आप अपने आपको सेफ रखना चाहते हैं तो फोन को तकिए के नीचे या आस-पास, यहां तक की अपने बेडरूम में भी न रखें. अगर ऐसा नहीं कर सकते हैं तो फोन को अपने आप से कम से कम तीन फीट की दूरी पर रखें. ऐसा करने से मोबाइल से निकलने वाली रेडियो फ्रीक्वेंसी इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक की ताकत काफी कम हो जाती है और आप पर रेडिएशन का जोखिम भी नहीं रहता. 

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