डीएनए हिंदी: आज के समय में यदि किसी चीज की सबसे ज्यादा अहमियत है तो वह डाटा है. दुनिया में डाटा की जरूरत इससे समझी जा सकती है कि डाटाबेस खरीदने के लिए करोड़ों की कीमत लुटा रहे हैं. ऐसे में भारत का फोकस इस बात पर है कि कैसे लोगों के डाटा को सुरक्षित रखा जा सके. इसीलिए सरकार Data Protection Bill को जल्द से जल्द पास कराने की तैयारी मे है.
इस कानून के बनने के बाद डाटा ब्रीच (Data Breach) सरकारी संस्थाओं और पीएसयू के लिए भी महंगा हो सकता है. उन्हें अपने डाटा सिक्योरिटी नेटवर्क को मजबूत करना होगा, अगर वो ऐसा करने में नाकामयाब होते हैं, तो उन्हें साइबर सिक्योरिटी ब्रीच (Cyber Security Breach) के मामले में 500 करोड़ रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है.
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इस ड्राफ्ट बिल में यह विशेष प्रावधान एम्स और आईआरसीटीसी जैसी सरकारी संस्थाओं द्वारा बड़े पैमाने पर डाटा ब्रीच की हालिया रिपोर्टों के कारण सामने आया है. हालांकि ये उल्लंघन बाहरी हैकिंग के कारण हुए थे जिसके चलते लोगों को मुसीबत का सामना करना पड़ता है. खास बात यह है कि कंपनियों ने अपने डाटा चोरी की बातों को नकारा था लेकिन यह झूठ माना गया था.
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बता दें कि CloudSEK द्वारा एकत्र किए गए डाटा से पता चलता है कि 2021 की इसी अवधि की तुलना में 2022 की दूसरी छमाही में सरकारी क्षेत्र को टारगेट करने वाले हमलों की संख्या में 95 फीसदी की वृद्धि हुई है. भारत, अमेरिका, इंडोनेशिया और चीन पिछले दो वर्षों में सबसे अधिक टरगेट देश बने रहे. CloudSEK ने बताया है कि इन चार देशों ने मिलकर सरकारी क्षेत्र में कुल रिपोर्ट की गई घटनाओं का लगभग 40 फीसदी हिस्सा लिया.
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