एक लीटर Petrol पर 10 रुपये का प्रॉफिट कमा रही कंपनियां, जानें फिर भी क्यों नहीं कम हो रही है कीमत

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jan 08, 2023, 01:55 PM IST

Petrol diesel price

रिपोर्ट के अनुसार चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के दौरान ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने पेट्रोल पर 10 रुपये प्रति लीटर का प्रॉफिट मार्जिन दर्ज किया है.

डीएनए हिंदीः पिछले सात महीनों से पेट्रोल और डीजल की कीमतें स्थिर होने के बावजूद भी इनके दाम आसमान की ऊंचाईयों पर हैं. इस बीच पीटीआई ने एक रिपोर्ट जारी किया है जिसमें बताया गया है कि भारत में ऑयल मार्केटिंग कंपनियां (OMC) 10 रुपये प्रति लीटर के प्रॉफिट पर पेट्रोल बेच रही हैं. लेकिन, इससे न तो तेल की कीमतें कम हो रही हैं और न ही ग्राहकों को राहत मिल रही है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है सरकार के स्वामित्व वाली इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) ने पिछले 15 महीनों से पेट्रोल और डीजल की कीमतों को रिवाइज नहीं किया है. 

तीसरी तिमाही में प्रति लीटर पेट्रोल पर मिला 10  रुपये का लाभ

पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर से दिसम्बर,2022) के दौरान ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने पेट्रोल पर 10 रुपये प्रति लीटर का प्रॉफिट मार्जिन दर्ज किया. हालांकि, पिछले साल जून में ओएमसी ने पेट्रोल पर 17.4 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 27.7 रुपये प्रति लीटर का नुकसान भी दर्ज किया था.

लाभ के बाद भी क्यों कम नहीं हो रही है पेट्रोल और डीजल की कीमत 

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पेट्रोल पर 10 रुपये प्रति लीटर का लाभ कमाने के बावजूद ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को डीजल पर 6.5 रुपये प्रति लीटर का नुकसान हो रहा है. इसलिए पेट्रोल कंपनियां पेट्रोल से होने वाले फायदे से इस घाटे की भरपाई करने का प्रयास कर रही हैं. इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले दिनों में फ्यूल की कीमतें कम होने की कोई संभावना नहीं है.

अंतरराष्ट्रीय बाजार में ईंधन की कीमत में उतार चढ़ाव जारी

पिछले कुछ वर्षो में अंतरराष्ट्रीय बाजार में ईंधन की कीमतों में उतार-चढ़ाव बना हुआ है और भारत अपनी कच्चे तेल की जरूरत का 80 फीसदी से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय बाजार से आयात करता है. इसलिए, अंतरराष्ट्रीय बाजार में ईंधन की कीमतों में उतार-चढ़ाव का असर भारतीय ओएमसी पर भी पड़ा. वहीं अगर सरकार के स्वामित्व वाली ऑयल मार्केटिंग कंपनियों की बात की जाए तो इन कंपनियों ने पिछले साल अप्रैल में तेल की कीमतों में संशोधन किया था.

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