जानिए आखिर Bar Code और QR Code में क्या है अंतर, कब और कैसे होता है इनका उपयोग

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jul 13, 2022, 11:07 PM IST

Bar Code और QR Code का मार्केट में अलग-अलग तरीके से इस्तेमाल होता है. ऐसे में आपके लिए यह जानना जरूरी है कि आखिर इनका प्रयोग कब, कहां और किस तरीके से होता है.

डीएनए हिंदी: आज के दौर में कुछ कोड्स के जरिए किसी भी चीज के नकली या असली होने का पता लगाया जा सकता है. वहीं इनके जरिए पेमेंट करना भी बेहद आसान माना जाता है. इन कोड को लोग बार कोड या क्यू आर कोड कहते हैं. अगर यह कहा जाए कि आज के वक्त में बार कोड (Bar Code) और क्यूआर कोड (QR Code) के बिना डिजिटल काम अधूरा है तो शायह यह बात गलत नहीं होगी लेकिन क्या आपको पता है कि बार कोड या क्यू आर कोड अलग अलग होते हैं. 

आज के वक्त में ज्यादातर लोगों को बार कोड (Bar Code) या क्यूआर कोड (QR Code) के बारे में कोई अंतर नहीं पता होता है. लोगों को यह लगता है कि बार कोड और क्यू आर कोड एक ही होते हैं लेकिन ऐसा नहीं है दोनों के बीच अंतर होता है. ऐसे में यदि आपको भी यह अंतर नहीं पता तो आपके लिए यह जानना जरूरी है कि आखिर यह अंतर क्या है तो चलिए समझते हैं. 

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क्या होता है Bar Code

दरअसल, बार कोड का इस्तेमाल कॉमर्शियल कार्यों के लिए सबसे पहले साल 1974 में शुरू किया गया था. इसे किसी भी सामान के एक लीनियर री-प्रेजेंटेशन के तौर पर देखा जाता है, जिसे एक ऑप्टिकल डिवाइस की मदद से पढ़ा जाता है. इसकी संरचना की बात करें तो यह कई समानांतर रेखाओं से बना होता है. इन समानांतर रेखाओं के बीच का फासला भी ज्यादा और कम होता है जिसमें किसी भी सामन की विशेषताएं और उससे जुड़ी जानकारी कोड्स में मौजूद होती है. 

अहम बात यह है कि आज के दौर में बार कोड के जरिए किसी भी सामान की जानकारी का पता लगाया जा सकता है. आप कोई बार कोड स्कैन करके सामान की कीमत, या फिर उसकी मेन्यूफैक्चरिंग डेट और वजन समेत कई जानकारियों का पता लगा सकते हैं. ऐसे में यदि दुकानदार आपसे किसी भी सामान को लेकर झूठ बोल रहा है या भ्रमित कर रहा है तो आप सामान के बार कोड को स्कैन करके उसके झूठ का भंडाफोड़ कर सकते हैं.

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क्या होता है QR Code

QR Code को समझते हैं तो आपको बता दें कि क्यूआर कोड (QR Code) का पूरा नाम क्विक रिस्पॉन्स कोड है. यह दरअसल, बार कोड का ही एडवांस्ड वर्जन है. बार कोड में आपको बहुत सारी लाइंस दिखती हैं, जबकि क्यूआर कोड स्क्वेयर शेप में होता है. यह बार कोड के मुकाबले काफी ज्यादा जानकारियां स्टोर कर सकता है, यहां तक कि नंबर्स, अल्फाबेट्स, फोटो और वीडियो भी इसमें सेव होते हैं.

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खास बात यह है कि बार कोड में बहुत कम जानकारी स्टोर होती है इसलिए इसे बार कोड से एडवांस माना जाता है. गौरतलब है कि क्यूआर कोड को 1994 में आया था. क्यूआर कोड को पहले ऑटो-मोबाइल के कई पार्ट्स और स्पेयर पार्ट्स को स्कैन करने के लिए बनाया गया था. इसके जरिए पार्ट्स की जानकारी हासिल करना आसान था.

पेमेंट और वेरिफिकेशन में मददगार

गौरतलब है कि इसमें पेमेंट तक की जानकारी होती है. यही कारण है कि अब लोग ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के लिए बार कोड का इस्तेमाल करते हैं और आसानी से पेमेंट कर देते हैं क्योंकि इसमें एक साधारण से दिखने वाले जटिल कोड में ही पेमेंट की सारी इनफॉर्मेशन छिपी होती है जो कि काफी आसानी से पेमेंट करने में मददगार होती है. 

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इसके अलावा किसी भी  प्रोडक्ट की जानकारी से लेकर उसकी ओरिजिनैलिटी को चेक करने के लिए भी क्यू आर कोड दिया जाता है. इससे प्रोडक्ट के असली या नकली होने का कुछ ही सेकेंड्स में पता लगाया जा सकता है और लोग किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी का शिकार होने से बच जाते हैं. 

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