काम कर रही है Neuralink Chip, Elon Musk का दावा- सोचने भर से मरीज चला रहा है माउस

कविता मिश्रा | Updated:Feb 21, 2024, 11:13 AM IST

Elon Musk

Neuralink Project: एलन मस्क ने बताया कि ब्रेन-चिप इम्प्लांट कराने वाला पहला ह्यूमन पेशेंट अब पूरी तरह से ठीक हो गया है. आइए जानते हैं कि उन्होंने क्या कुछ कहा है...

अरबपति एलन मस्क (Elon Musk) के स्टार्टअप न्यूरालिंक (Neuralink) ने पिछले महीने पहली बार किसी इंसानी मरीज को ब्रेन चिप लगाई थी. जिसको लेकर अब उन्होंने एक अपडेट दिया है. एलन मस्क ने बताया कि वह मरीज पूरी तरह ठीक हो गया है और अपनी सोच के जरिये ही कंप्यूटर माउस इस्तेमाल कर पा रहा है. इसके साथ उनकी ओर से दावा किया गया है कि चिप इंप्लांट का कोई दुष्प्रभाव भी उस पर नहीं दिखा है. न्यूरालिंक को लेकर उन्होंने बताया कि उनकी कंपनी के पास एक बड़ा लक्ष्य है, जिसे हासिल करना है.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एलन मस्क ने बताया कि ब्रेन-चिप इम्प्लांट कराने वाला पहला ह्यूमन पेशेंट अब पूरी तरह से ठीक हो गया है. पेशेंट केवल सोचकर कंप्यूटर माउस को कंट्रोल भी कर पा रहा है. उन्होंने बताया कि प्रोग्राम अच्छा रहा है और मरीज पूरी तरह से रिकवर हो गया है. इसमें उसे कोई नुकसान नहीं हुआ है. मरीज ने सिर्फ सोचने से ही माउस को कंट्रोल करके दिखाया, जिसके बाद कर्सर स्क्रीन पर एक साइड से दूसरी तरफ मूव हुआ. इसके साथ उन्होंने बताया कि ह्यूमन ट्रायल रिक्रूटमेंट के लिए मंजूरी मिलने के बाद कंपनी ने पिछले महीने अपने पहले ह्यूमन पेशेंट पर ब्रेन-चिप इम्प्लांट किया था.

 


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ऐसे हुआ था ट्रायल 

सितंबर 2023 में मस्क की ब्रेन-चिप कंपनी न्यूरालिंक को अपने पहले ह्यूमन ट्रायल के लिए इंडिपेंडेंट इंस्टीट्यूशनल रिव्यू बोर्ड से रिक्रूटमेंट की मंजूरी मिली थी. रोबोट ने मरीज के दिमाग में इस चिप को लगाया था. इसे ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (BCI) भी कहा जा रहा है. इसे दिमाग के उस हिस्से में लगाया गया, जो हमारे हिलने-डुलने की मंशा को नियंत्रित करता है. न्यूरालिंक का कहना है कि उसका प्राथमिक लक्ष्य मरीजों को केवल अपनी सोच के जरिये कंप्यूटर कर्सर या कीबोर्ड को नियंत्रित करने के लायक बनाना है. एलन मस्क का कहना है कि कंपनी ने इसमें कुछ हद तक कामयाबी पा ली है. 

एलन मस्क ने कब की थी शुरुवात 

 एलन मस्क ने साल 2016 में न्यूरालिंक नाम के एक स्टार्टअप की शुरुआत की थी. ये कंपनी ब्रेन चिप इंटरफेस बनाने का काम करती है. इनको इंसानी दिमाग में इंप्लांट किया जा सकता है. दरअसल चिप की मदद से न्यूरो सिग्नल को कंप्यूटर या फोन पर भी ट्रांसमिट किया जा सकेगा. कहा जा रहा कि इसके जरिए सिर्फ सोचने भर से कई गैजेट्स को कंट्रोल किया जा सकेगा. एलन मस्क का कहना है कि कंपनी के चिप उपकरणों को इंसानी शरीर में लगा कर मोटापा, ऑटिज्म, अवसाद या सिजोफ्रेनिया जैसी बीमारियों का इलाज किया जा सकता है. 

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