Mobile Banking वाले यूजर्स बरतें ये सावधानियां, बैंक अकाउंट में सेंध लगा रहा वायरस

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Sep 16, 2022, 02:47 PM IST

स्मार्टफोन्स यूजर्स अब बैंक में जाकर काम कराने के बजाए Mobile Banking का इस्तेमाल करने लगे हैं और इसका फायदा साइबर क्रिमिनल उठा रहे हैं.

डीएनए हिंदी: बैंकों में आज भी लोगों को अपने काम के लिए इंतजार करना पड़ता है. वहीं जब से मोबाइल बैंकिंग (Mobile Banking) शुरू हुई है तब से लोग समय बचाने के लिए इसका ही प्रयोग करते हैं. मोबाइल के जरिए बैंकिंग का काम आसानी से हो जाता है लेकिन इसके साथ साइबर अपराध (Cyber Crime) और ठगी का खतरा भी बढ़ता है. वहीं बड़ी खबर यह है कि देश के साइबर क्षेत्र में नया मोबाइल बैंकिंग वायरस (Mobile Banking Virus) फैल रहा है जो कि आपके बैंक अकाउंट के लिए खतरा बन सकता है.

दरअसल, ग्राहकों को निशाना बना रहे इस नए वायरस का सोवा  है जो कि एक ट्रोजन वायरस है. यह एक रैंसमवेयर है जो एंड्रॉयड फोन की फाइल को नुकसान पहुंचा सकता है और अंत में संबंधित व्यक्ति के साथ बड़ी वित्तीय धोखाधड़ी कर सकता है. जानकारी के मुताबिक एक बार मोबाइल में आने के बाद इसे हटाना भी काफी मुश्किल है. 

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जुलाई में पता चला ये वायरस

इस वायरस को लेकर देश की साइबर सुरक्षा एजेंसी ने अपनेपरामर्श में कहा है कि भारतीय साइबर क्षेत्र में इस वायरस का सबसे पहले जुलाई में पता चला था तब से इसका पांचवां संस्करण आ गया है जो कि धीरे-धीरे पावरफुल होता जा रहा है. 

सीईआरटी-इन ने इस वायरस को लेकर कुछ अहम जानकारियां दी है.CERT-IN ने कहा, "संस्थान को यह बताया गया है कि भारतीय बैंक के ग्राहकों को नए सोवा एंड्रॉयड ट्रोजन के जरिए निशाना बनाया जा रहा है. इसमें मोबाइल बैंकिंग को सबसे ज्यादा टारगेट किया जा रहा है. इस मालवेयर का पहला संस्करण छिपे तरीके से सितंबर 2021 में बाजारों में बिक्री के लिए आया था. यह लॉगिंग के माध्यम से नाम और पासवर्ड, कुकीज चोरी करना और ऐप को प्रभावित करने में सक्षम है.’’ 

वित्तीय मुसीबतों में फंसे लोग

इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि यह मालवेयर पहले अमेरिका, रूस और स्पेन जैसे देशों में ज्यादा सक्रिय था लेकिन जुलाई, 2022 में इसने भारत सहित कई अन्य देशों को भी निशाना बनाना शुरू किया है. इसका शिकार होकर लोग बड़ी वित्तीय मुसीबतों में फंस चुके हैं.

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पेमेंट ऐप्स कर सकता है एक्सेस

इस मालवेयर का नया वेरिएंट यूजर्स को धोखा देने के लिए नकली एंड्रॉयड एप्लिकेशन के साथ  अटैच हो जाता है और उसके बाद यह क्रोम, अमेजन, एनएफटी (क्रिप्टो मुद्रा से जुड़े टोकन) जैसे लोकप्रिय वैध ऐप के ‘लोगो’ के साथ दिखाई देता है. यह इस रूप से होता है जिससे लोगों को इन ऐप को ‘इंस्टॉल’ करने में पता ही नहीं चलता कि ये साधारण ऐप है या कोई वायरस. 

वायरस के खतरनाक होने का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह कीस्ट्रोक्स को एकत्रित कर सकता है. सत्यापन के विभिन्न कारकों (MFA) का पता लगा सकता है. यह ऐप स्क्रीनशॉट ले सकता है और वेबकैम से वीडियो रिकॉर्ड कर सकता है. इसके साथ ही यह वायरस ऐप को भी प्रभावित कर सकता है और एंड्रॉयड उपयोगकर्ता को धोखा देने के लिए 200 से अधिक बैंकिंग और भुगतान एप्लिकेशन की ‘नकल’ कर सकता है.

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बरतें ये खास सावधानियां

ऐसे में आवश्यक है कि आप अपनी कोई भी पेमेंट ऐप्लिकेशन किसी अनआधिकारिक सोर्स ने डाउनलोड न करें. इसके अलावा सारे ऐप्स Google Play Store  से ही इन्सटॉल करें. इसके अलावा आपको बता दें कि आप किसी भी व्यक्ति को अपना मोबाइल न दें क्योंकि इस वायरस को इन्सटॉल करने में ज्यादा समय नहीं लगता है. इसके अलावा आपको अपने फोन में गूगल प्ले  सिक्योरिटी फीचर को हमेशा ऑन रखना होगा. 

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