डीएनए हिंदीः भारत सरकार ने मोबाइल, लैपटॉप और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के लिए कॉमन USB Type-C चार्जर को मंजूरी दे दी है. केंद्र सरकार की ओर से ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (BIF) ने मार्च 2025 तक सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज के लिए कॉमन USB Type-C चार्जर लाने की मंजूरी दी है. इसका मुख्य उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट को कम करना है और इसकी मदद से यूजर्स को भी लैपटॉप, स्मार्टफोन, नोटबुक आदि के लिए अलग-अलग डिवाइस खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
अगर अभी की बात करें तो हमें अलग-अलग इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज को चार्ज करने के लिए अलग-अलग चार्जर रखना पड़ता. इसके साथ ही हर चार्जर के लिए हमें पैसे भी चुकाने पड़ते हैं. सरकार के इस पहल से न सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक कचरा कम होगा बल्कि कंज्यूमर्स को ज्यादा पैसे भी नहीं खर्च करने पड़ेंगे. लेकिन इसमें सवाल यह भी उठता है कि आखिर सरकार सभी डिवाइस के लिए USB Type-C चार्जर को ही क्यों मंजूरी दे रही है और इसमें ऐसा क्या खास है. इस नियम के लागू होने के बाद एपल जैसी कंपनियों को क्या करना होगा?
क्या है USB Type-C
आजकल लॉन्च होने वाले ज्यादातर स्मार्टफोन्स में USB Type-C देखने को मिलता है. इसका मुख्य कारण है कि यह काफी फास्ट है और इसकी मदद से आपका फोन तेजी से चार्ज हो जाएगा. इसके साथ ही इस केबल के जरिए डेटा को भी तेजी से ट्रांसफर किया जा सकता है. अगर इसकी तुलना पुराने USB Type A और Type B से की जाए तो यह उनसे काफी छोटा और पतला है हालांकि यह फोन में इस्तेमाल होने वाले माइक्रो यूएसबी से थोड़ा बड़ा है लेकिन इससे अन्य डिवाइस को पतला रखने में मदद मिलती है. यूएसबी टाइप सी की चौड़ाई मात्र 8.4mm और ऊंचाई मात्र 2.6mm है और इसकी मदद से फोन या टैबलेट को जल्दी चार्ज किया जा सकता है.
अगर पुराने USB की बात करें तो उससे ज्यादा से ज्यादा 20 वॉट की पावर ही ट्रांसफर हो सकती है. वहीं USB Type-C आसानी से ज्यादा पावर ट्रांसफर कर सकता है. आज के समय में स्मार्टफोन कंपनियां 120W तक के चार्जर पेश कर रही हैं जिसमें USB Type-C का इस्तेमाल किया जाता है और इससे बड़ी बैटरी वाले स्मार्टफोन्स मात्र कुछ मिनटों में फुल चार्ज हो जाते हैं.
USB Type-C न केवल फास्ट चार्जिंग को सपोर्ट करता है बल्कि इसमें आपको तेजी से डेटा ट्रांसफर की भी सुविधा मिलती है. जहां नॉर्मल माइक्रो USB से 450MB प्रति सेकेंड की स्पीड से डेटा ट्रांसफर होता है तो वहीं, USB Type-C केबल 10, 20, 40 यहां तक की 80GBps की स्पीड से डेटा ट्रांसफर किया जा सकता है.
USB Type-C ही क्यों
ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) के अनुसार, Type-C स्टैंडर्ड देश में बेचे जाने वाले सभी स्मार्टफोन्स और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज के लिए कॉमन चार्जिंग सॉल्यूशन प्रदान करेगा. इसके साथ ही इससे चार्जर की संख्या में भी कमी देखने को मिलेगी और लोगों को हर नए डिवाइस के साथ चार्जर खरीदने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी.
खर्चा और कचरा दोनो होगा कम
वन नेशन वन चार्जर को लेकर सबसे पहले यूरोपियन यूनियन ने पहल की थी और फैसला लिया कि साल 2024 के आखिर तक सभी डिवाइस USB Type-C वाले कर दिए जाएं. इसका मुख्य उद्देश्य देश कचरा यानी इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट कम करना है. यूरोपियन यूनियन का मानना है कि उसके करीब 45 करोड़ नागरिकों को एक जैसे चार्जर मिलेंगे तो लगभग 11 हजार टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा कम होगा. अब भारत सरकार भी इस पहल में भाग लेते हुए USB Type-C का अनिवार्य कर दिया है जिससे इलेक्ट्रॉनिक कचरे को कम किया जा सके. इसके साथ ही ऐसा करने से लोगों को अलग-अलग चार्जर भी नहीं लेने पड़ेंगे जिससे उनके पैसे की भी बचत होगी.
Apple कंपनी होगी सबसे ज्यादा प्रभावित
सरकार के इस फैसले से एपल कंपनी सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकती है क्योंकि कंपनी कई सालों से लाइटनिंग पोर्ट ऑफर कर रही है. ऐसे इस नियम के लागू होने के बाद कंपनी को भारत में आने वाले सभी स्मार्टफोन्स में USB Type-C पोर्ट देना होगा. हालांकि एपल ने यूरोपिय यूनियन के नियमों को मानते हुए वहां पर लॉन्च होने वाले स्मार्टफोन्स में Type-C पोर्ट देने की घोषणा कर दी है. लेकिन अब देखना यह है कि भारत में कंपनी इसे टाईप सी पोर्ट के साथ लॉन्च करती है या नहीं.
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