क्या अब WhatsApp Calling के भी चुकाने होंगे पैसे?

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Sep 14, 2022, 09:00 AM IST

WhatsApp समेत इंटरनेट के जरिए कॉलिंग को लेकर टेलीकॉम कंपनियों ने सरकार से मांग की है कि इसको लेकर नए नियम बनाए जाएं.

डीएनए हिंदी: इंस्टेट मैसेजिंग ऐप्लिकेशन WhatsApp दुनिया के सबसे लोकप्रिय मैसेजिंग ऐप में हैं. इसमें Calling का फीचर आने से यूजर्स का एक्सपीरियंस अच्छा हो गया है. इतना ही नहीं मोबाइल कॉलिंग में एक बड़ी गिरावट देखने का चलन बढ़ गया है. इसके अलावा इंटरनेट कॉलिंग के लिए यूजर्स सिर्फ वॉट्सऐप ही नहीं बल्कि Signal और Telegram का भी इस्तेमाल करते है. ऐसे में यह माना जा रहा है कि इंटरनेट कॉलिंग को लेकर TRAI कुछ नया कर सकती है जो कि यूजर्स के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है. 

TRAI ने मांगा है सुझाव

दरअसल, इंटरनेट कॉलिंग को लेकर ट्राई ने अभी कोई फ्रेमवर्क तैयार नहीं किया है लेकिन दूरसंचार विभाग ने TRAI (Telecom Regulatory Authority of India) से इस पर विस्तृत सुझाव मांगा है. इस मामले में टेलीकॉम ऑपरेटर्स भी लंबे समय से ऐसी ही मांग कर रहे हैं. टेलीकॉम कंपनियां सरकार से 'एक जैसे सर्विस एक जैसे नियम' की डिमांड कर रही हैं जिससे उन्हें झटका लगा है.  

गौरतलब है कि पहले ही ग्राहक इंटरनेट का पैसा दे रहे हैं लेकिन नए नियम लागू होने के बाद स्थिति बदल सकती है. इसका शुरुआती असर इंटरनेट कॉलिंग ऐप्स कंपनियों पर पड़ेगा लेकिन अंत में कंज्यूमर्स को इसके लिए भुगतान करना पड़ सकता है जिससे यूजर्स की जेब पर बुरा असर पड़ेगा. 

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क्या है कंपनियों की मांग

टेलीकॉम कंपनियां कई मौकों पर कह चुकी हैं कि इंटरनेट कॉलिंग और मैसेजिंग ऐप्स को भी उनकी तरह लाइसेंसर फीस भरनी चाहिए. फीस ही नहीं बल्कि नियमों का पालन, क्वालिटी ऑफ सर्विस और दूसरे मानको को पूरा करना चाहिए. इसका कितना असर कंज्यूमर्स पर पड़ेगा ये तो अभी नहीं साफ है लेकिन कस्टमर्स को इसके लिए चार्ज देना पड़ सकता है. 

अहम बात यह है कि TRAI इंटरनेट कॉलिंग को लेकर कैसे नियम तैयार करेगी. इसकी जानकारी फिलहाल नहीं है. अभी कंज्यूमर्स को सिर्फ स्टैंडर्ड इंटरनेट चार्ज ही वॉट्सऐप और दूसरी इंटरनेट कॉलिंग के लिए खर्च करना पड़ता है. भारत में इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स और टेलीकॉम कंपनियों को लेकर कुछ तय नियम हैं. कंपनियों की मांग है कि ऐसे ही नियम इंटरनेट कॉलिंग ऐप के लिए भी होने चाहिए. 

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2008 में भी की गई थी मांग

आपको बता दें कि साल 2008 में TRAI ने सुझाव दिया था कि इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स को इंटरनेट टेलीफोनी की मंजूरी मिलनी चाहिए. इसमें कहा गया था कि ISP को सामान्य टेलीफोन नेटवर्क पर कॉल करने की सुविधा मिलनी चाहिए लेकिन इसके लिए उन्हें इंटरकनेक्शन चार्ज देना होगा. इसके साथ ही नियम के अनुसार इंटरसेप्शन इक्विपमेंट इंस्टॉल करने होंगे. उस दौरान यह सुझाव ठंडे बस्ते में डाल दिए गए थे.

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