चीनी मोबाइल कंपनियों के इस फैसले से ड्रैगन को लगेगा झटका और भारत को होगा फायदा, जानें कैसे

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Dec 10, 2022, 02:48 PM IST

oppo vivo xiaomi

इससे पहले Xiaomi, Oppo और Vivo जैसी चीनी कंपनियां कई बार भारत सरकार के एक्सपोर्ट प्रोडक्शन को यहां शिफ्ट करने के प्रस्ताव को रिजेक्ट कर चुकी हैं.

डीएनए हिंदीः चीनी स्मार्टफोन निर्माता कंपनी शाओमी, ओप्पो और वीवो ने मेड-इन इंडिया स्मार्टफोन्स को अन्य मार्केट्स में एक्सपोर्ट करने को लेकर हामी भार दी है. एक रिपोर्ट के अनुसार तीनो कंपनियों ने इस बात के लिए रजामंदी दे दी है जिससे मेक इन इंडिया प्रोग्राम को बूस्ट मिलेगा और साथ ही भारत में तैयार किए गए फोन को अन्य देशों में भी बिक सकेंगे. 

टाइम्स ऑफ इंडिया के रिपोर्ट के अनुसार यह भारत सरकार के लिए एक बड़ी जीत है क्योंकि ऐसा पहली बार हुआ है जब चीनी कंपनियों ने अपने ग्लोबल प्रोडक्शन वॉल्यूम को भारत के साथ शेयर करने के लिए रजामंदी दी है. इससे शाओमी, ओप्पो और वीवो कई बार भारत के इस प्रस्ताव को रिजेक्ट कर चुकी हैं. हालांकि अब इस रजामंदी का यह मतलब भी है कि इससे तीनों कंपनियों की मैन्युफैक्चरिंग स्ट्रैटेजी में भी बदलाव देखने को मिलेंगे.

एपल और सैमसंग पहले से ही कर रहे हैं एक्सपोर्ट

जहां Xiaomi, Oppo और Vivo ने अब भारत में बने फोन्स को एक्सपोर्ट करने की प्लानिंग की है वहीं सैमसंग और एपल पहले से ही अपने कुछ स्मार्टफोन्स को भारत से अन्य मार्केट्स में एक्सपोर्ट कर रहे हैं. इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत में बने Xiaomi, Oppo और Vivo के फोन के लिए अफ्रीका, मिडिल ईस्ट, लैटिन अमेरिका, यूरोप के कुछ हिस्से और पाकिस्तान बेहतर मार्केट होंगे जहां मेड इन इंडिया फोन्स की बिक्री की जा सकती है.

Xiaomi, Oppo और Vivo ने इन कारणों से लिया फैसला

Covid-19 और गलवान वैली में हुई झड़प के बाद सरकार ने चीनी निवेश पर सख्त प्रतिबंध लगा दिए हैं जिसके कारण स्मार्टफोन कंपनियों के लिए भारत में अपने निवेश को जारी रखना मुश्किल हो गया है. ऐसा माना जा रहा है कि इन्हीं कारणो से इन चीनी कंपनियों ने यह फैसला लिया है. इसके साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि सरकार के प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम की वजह से भी तीनों कंपनियां ये कदम उठा सकती हैं. 

इस स्कीम के तहत लोकल मैन्युफैक्चरिंग करने वाली कंपनियों को एडिशनल बेनिफिट्स दिए जाते हैं जिसका फायदा अभी सैमसंग और एपल जैसी कंपनियां ले रही हैं. इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि एक्सपोर्ट को लेकर सरकार की ओर से बढ़ते दबाव के कारण भी Xiaomi, Oppo और Vivo ने यह फैसला लिया है. ऐसा भी माना जा रहा है कि लोकल मैन्युफैक्चरिंग फर्म जैसे Optiemus Infracom और Dixon एक्सपोर्ट प्रोडक्शन के लिए डील्स और एग्रीमेंट को लेकर बातचीत भी कर रहे हैं. 

बता दें कि एक्सपोर्ट मैन्युफैक्चरिंग बिजनेस को चीन से भारत में लाना इन कंपनियों के लिए भी फायदेमंद हो सकता है क्योंकि Xiaomi, Oppo, और Vivo, तीनों ब्रांड भारत में अपने व्यवसाय और इससे जुड़े फाइनेंस को लेकर सरकार के जांच के दायरे में हैं.
 

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