इंडिया में iphone बनने के क्या होंगे फायदे? 5 पॉइंट्स में जानिए

भारतीय बाजार में एप्पल प्रोडक्ट्स के यूजर्स की संख्या लगातार बढ़ रही है. 2021 में Apple ने भारत में 5.4 मिलियन स्मार्टफोन भेजे थे.

Apple ने भारत में अपने iPhone 13 की मेन्यूफैक्चरिंग शुरू कर दी है. आईफोन 13 की मेन्यूफैक्चरिंग एप्पल पार्टनर फॉक्सकॉन के प्लांट में की जा रही है. यह कंपनी चेन्नई के पास स्थित है. विशेषज्ञों के अनुसार, एप्पल का यह कदम दुनिया के दूसरे सबसे बड़े स्मार्टफोन मार्केट में अमेरिकी स्मार्टफोन की जड़ें जमाने और बाजार में इसकी हिस्सेदारी बढ़ाने में कामयाब होगा.  एप्पल फॉक्सकॉन और विस्ट्रॉन के जरिए भारत में बिकने वाले सभी शीर्ष मॉडल बनाती है. इसकी तीसरी पार्टनर Pegatron आईफोन 12 की मेन्यूफैक्चरिंग इस महीने शुरू कर सकती है. Apple ने भारत में iPhone SE के साथ 2017 में iPhones का प्रोडक्शन शुरू किया था. अभी कंपनी iPhone 11, iPhone 12 और अब iPhone 13 का स्थानीय स्तर पर प्रोडक्शन कर रही है. हालांकि प्रो मॉडल में से कोई भी भारत में नहीं बना है.  इंडिया में आईफोन बनने के क्या फायदे होंगे? इस सवाल का जवाब जानने के लिए डीएनए हिंदी ने नोएडा सेक्टर 18 स्थित आईक्रेस्ट स्टोर और टेक एक्सपर्ट्स से बात की. आइए जानते हैं आईफोन के इंडिया में मेन्यूफैक्चरिंग के 5 बड़े फायदे... 

मेड इन इंडिया का 'ठप्पा'

स्टोर के कर्मचारी ने बताया कि ज्यादातर ग्राहक एप्पल के फोन पर 'मेड इन चाइना' देखकर कतराते हैं. इंडिया में मेन्यूफैक्चरिंग होने से 'मेड इन इंडिया' का ठप्पा लग जाएगा जिससे हमें इसकी सेल में आसानी होगी. कई फोन मेड इन चाइना लिखे होते हैं और वह असेंबल भी होते हैं. इससे कई ग्राहक इसे खरीदने में आनाकानी करते हैं. भारत का ब्रैंड होने से सेल में तेजी आएगी. 

जल्द से जल्द मार्केट में उपलब्ध 

स्टोर के कर्मचारी के अनुसार, एप्पल की मेन्यूफैक्चरिंग इंडिया में होने से ग्राहक के लिहाज से भी फायदा होगा. इंडियन मार्केट में कंपनी के लेटेस्ट मॉडल और स्मार्टफोन जल्द से जल्द उपलब्ध होंगे. अभी कई स्मार्टफोन की शिपिंग में टाइम लग जाता है वहीं कई आईफोन आउट ऑफ स्टॉक रहते हैं. कलर की अवेलेबिलिटी भी कम होती हैं. यदि कोई कस्टमर अनअवेलेबल स्मार्टफोन का ऑर्डर करता है तो इसमें 10 से 15 दिन लग जाते हैं. उम्मीद है कि इंडिया में मेन्यूफैक्चरिंग होने से स्मार्टफोन के उपलब्ध होने वाला समय कम होगा. 

जॉब क्रिएशन

एप्पल के स्मार्टफोन प्रोडक्शन से निश्चित तौर पर जॉब बढ़ेंगी. डिजाइनर, साइंटिस्ट, मेन्यूफैक्चरिंग, रिटेल, कस्टमर सपोर्ट, मार्केटिंग, हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर में नई जॉब्स आएंगी. पिछले साल एप्पल ने कहा था कि कंपनी ने भारत में अपने कर्मचारियों, आईओएस एप डेवलपर्स, वर्कर्स और सप्लायर्स सहित लगभग 10 लाख जॉब्स को सपोर्ट किया है. एप्पल ने पिछले साल अकेले सप्लाई चेन में 20 हजार जॉब्स का दावा किया था. जाहिर है जॉब्स बढ़ने से यहां इंजीनियर्स का टैलेंट भी देश में काम करना पसंद करेगा. इससे कुछ हद तक बेहतर नौकरी की तलाश में विदेश जाने वाले युवा देश में ही रुक सकेंगे. 

इंडिया की टेक्नोलॉजी पर भरोसा 

देश में एप्पल की मेन्यूफैक्चरिंग होने से दुनियाभर की टेक कंपनियों का इंडियन प्रोडक्शन पर भरोसा बढ़ेगा. लगभग दो साल पहले अमेरिका की दिग्गज कंपनी एप्पल, दक्षिण कोरियाई सैमसंग और पांच घरेलू कंपनियों सहित 16 कंपनियों को सरकार ने अपनी 41 हजार करोड़ रुपये की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना के लिए चुना था. इस योजना का उद्देश्य भारत को मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना है. सरकार का मानना है कि अगले 5 साल में पीएलआई योजना के तहत कंपनियों से कुल उत्पादन 10.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक होने की उम्मीद है. कंपनियों से एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने की भी उम्मीद है. 

क्या कॉस्ट कम होगी?

इस सवाल के जवाब में स्टोर के कर्मचारी का मानना है ​कि मेन्यूफैक्चरिंग के बाद शिपिंग चार्ज कम हो सकता है. स्टोर और कंपनी कुछ डिस्काउंट्स ला सकती है. आईफोन की कीमत पर 5 से 7 हजार रुपये तक का फर्क पड़ जाता है.