पिछले कुछ महीनों से लगातार E-Scooters में आग लगने की खबर सामने आ रही हैं जिसको लेकर अब एक बड़ा खुलासा भी हुआ है.
देश की सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन देने के मुद्दे पर काम कर रहे हैं लेकिन देशभर में हाल ही हुई इलेक्ट्रिक स्कूटरों में आग लगने की घटनाओं में इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर निर्माताओं की बड़ी लापरवाही सामने आई है. खबर है कि इन घटनाओं की जांच लिए बनी कमेटी को टेस्टिंग के लिए कंपनियों ने जिन बैटरियों को भेजा है, उस स्तर की बैटरियों का इस्तेमाल अपने टू-व्हीलर में नहीं किया है.
1.Testing Agency ने किया बड़ा खुलासा
टेस्टिंग एजेंसी ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एआरएआई) के एक सूत्र ने किसी एक का नाम लिए बिना अहम जानकारी देते हुए बताया है कि लगभग सभी कंपनियां ने टेस्टिंग के लिए ग्रेड-ए स्तर के बैटरियों को जमा कराया था. हो सकता है कि इनमें से कई कंपनियों ने अपने प्रोडक्ट और बेचे जाने वाले सभी स्कूटरों में इन बैटरियों का इस्तेमाल नहीं किया गया है.
2.कंपनियों ने की गड़बड़ी
3.गड़बड़ी रोकने के लिए औचक जांच जरूरी
वहीं इस लगातार ई-स्कूटरों में लग रही आग के बीच इस मुद्दे पर सरकारी सूत्र ने यह भी कहा कि कंपनियों के इस तरह के गड़बड़ी में लिप्त होने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है. कंपनियों को बी ग्रेड बैटरी का उपयोग करने से रोकने के लिए औचक जांच को कड़ाई से लागू करने की आवश्यकता है. सूत्र ने कहा कि बैटरी, उनकी क्वलिटी, कीमत और खरीद की जगह के बारे में सभी डेटा कंपनियों के साथ उपलब्ध है.
4.टेस्टिंग में गुणवत्ता का ध्यान है आवश्यक
वहीं एक अन्य सोर्स से जब पूछा गया कि क्या कंपनियां लो क्वलिटी वाली बैटरी का उपयोग कर रही हैं, तो उन्होंने कहा, “जांच टीम आग लगने वाली हर संभावनाओं को देख रही है. कंपनियों को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि उपयोग की जाने वाली बैटरी बेस्ट हों. इसके लिए इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनियों को टेस्टिंग और क्वलिटी कंट्रोल को सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है. ”
5.क्या कहते हैं जिम्मेदार
इस मामले में सड़क परिवहन सचिव गिरिधर अरमाने ने पुष्टि की थी कि जांच से पता चला है कि उपयोग की जाने वाली बैटरियों और उनकी पैकेजिंग, बैटरी डिज़ाइन, थर्मल मैनेजमेंट सिस्टम और बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम में जरूरी फंक्शनल सेफ्टी इम्प्रूवमेंट की आवश्यकता है. एक बैटरी में कई सेल होते हैं, जो वाहन चलाने के लिए आवश्यक ऊर्जा को परिवर्तित करते हैं. सेल्स को गुणवत्ता के आधार पर घटते क्रम में A से C तक कैटरी में बांटा गया है.