Motorola से लेकर iPhone तक ... कैसे बदला मोबाइल का बाजार

दुनिया के पहले मोबाइल से लेकर अब तक, मोबाइल के बाजार में अप्रत्याशित बदलाव आए हैं.

3 अप्रैल 1973, तारीख को न्यूयॉर्क में  मोटोरोला के इंजीनियर मार्टिन कूपर ने दुनिया के पहले मोबाइल फोन से पहली कॉल की थी. खास बात यह है कि मोबाइल इतिहास की पहली कॉल उन्होंने अपने सबसे बड़े कॉम्पिटीटर और बेल इंडस्ट्री के इंजीनियर जोएल एंगेल को की थी.  तब से लेकर अब मोबाइल की दुनिया बदल चुकी है तो चलिए आज इसके बार में विस्तार से समझते हैं.

मोटोरोला ने सबसे पहले निकाला था मोबाइल फोन

दरअसल, अमेरिकी कंपनी मोटोरोला ने दुनिया का पहला मोबाइल फोन 1973 में बनाया था. इसका वजन 2 पाउंड से ज्यादा था. इस मोबाइल से करीब आधे घंटे तक किसी कॉल पर बात की जा सकती थी. इसके बाद इसे चार्ज करने में करीब 10 घंटे का समय लगता था.  1973 में बना फोन का इस्तेमाल मुश्किल था.

पहला कॉमर्शियल फोन

इसके बाद साल 1983 में मोटोरोला ने पहला कॉमर्शियल मोबाइल फोन DynaTAC 8000X लॉन्च किया. उस वक्त इसकी कीमत 4,000 रुपए थी, यानी अब इस फोन की कीमत 3.04 लाख से भी ज्यादा हुई। इस फोन से एक बार में 30 मिनट तक कॉल पर बात की जा सकती थी, जिसके बाद इसे चार्ज करने की जरूरत होती थी. इस फोन में 0G या जीरो जेनरेशन तकनीक का इस्तेमाल हुआ था.

तीसरा फोन भी था दिलचस्प

वहीं खास बात यह भी है कि ‘DynaTAC 8000X’ की सफलता के बाद मोटोरोला ने 1989 में ‘MicroTAC 9800X’ लॉन्च किया था. यह फोन थोड़ा छोटा था, जिससे ये आसानी से जेब में रखा जा सके. साथ ही इस फोन में फ्लिप कवर भी था. 1992 में कंपनी ने ‘इंटरनेशनल 3200’ नाम के मॉडल्स लॉन्च किए. इसके साथ ही मोबाइल फोन के बाजार में मोटोरोला ने अपनी धाक कायम कर ली. 

अन्य कंपनियों ने निकाले थे फोन

इसके बाद मोटोरोला से कंपटीशन के लिए 1990s में सोनी, नोकिया और सीमेंस जैसी कंपनियों के फोन भी मार्केट में आने लगे, जिससे मोटोरोला की डिमांड कम हो गई. सितंबर 1995 में मार्केट में कंपनी की हिस्सेदारी 32.1% तक घट गई थी. 

नोकिया का पहला फोन

भले ही आज नोकिया मोबाइल के मामले में पिछड़ चुका हो लेकिन पहले नोकिया ही मोटोरोला का कंपटीटर था. नोकिया का पहला फोन ‘मोबिरा सिटीमैन 900’ था. 1987 में बाजार में आने के बाद धीरे-धीरे नोकिया ने अपनी जगह बनानी शुरू कर दी. 1993 में नोकिया ने ‘नोकिया 1011’ फोन लॉन्च किया जो पहला GSM (ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल्स) फोन था. इसके साथ ही मोबाइल के जरिए टेक्स्ट मैसेज भेजने की शुरुआत हुई. हालांकि, इसकी लिमिट सिर्फ 160 कैरेक्टर ही थी.
 

बादशाहत की लड़ाई

जनवरी 1999 तक नोकिया ने मोटोरोला को पीछे कर दिया. उस वक्त शेयर मार्केट में नोकिया की 21.4% हिस्सेदारी थी, जबकि मोटोरोला की शेयर वैल्यू 20.8% थी. 1990 में ही नोकिया ने Nokia 7110 फोन लॉन्च किया. ये दुनिया का पहला फोन था, जिसमें वेब ब्राउजर था. 21वीं सदी की शुरुआत के साथ नोकिया के अलावा सैमसंग, सोनी और LG जैसी कंपनियों ने भी कई फोन लॉन्च किए. 2002 में सैमसंग ने ‘सैमसंग SGH-T100’ फोन लॉन्च किया. इस मोबाइल में डबल स्क्रीन की सुविधा थी. साथ ही इसमें पहली बार LCD डिस्प्ले था. 2002 के आखिर तक इस मॉडल के रिकॉर्ड 12 मिलियन, यानी 1.2 करोड़ फोन बिक चुके थे. 
 

iPhone की दस्तक

इस दौरान फोन के मार्केट में कई नए फीचर्स पर काम हुआ. 2003 में नोकिया ने हैंडहेल्ड गेम कंसोल फोन लॉन्च किया, जिसका नाम N-गेज था.2007 में सैन फ्रांसिस्को में मैकवर्ल्ड एक्स्पो के दौरान एपल कंपनी के फाउंडर स्टीव जॉब्स ने iPhone को तीन अलग-अलग डिवाइस की फीचर्स वाले एक फोन के तौर पर लॉन्च किया. इसमें कॉलिंग और इंटरनेट दोनों की सुविधा थी. साथ ही इसमें पहली बार आईपॉड की तर्ज पर टचस्क्रीन की सुविधा दी गई. 2008 में एपल ने अपना ऐप स्टोर लॉन्च किया, जिसकी मदद से लोग अपनी पसंद के ऐप्स और गेम्स फोन में डाउनलोड करने लगे. 
 

पहला एंड्रॉयड फोन

एपल की सफलता के साथ ही 2008 में दुनिया का पहला एंड्रॉयड फोन ‘HTC ड्रीम’ भी लॉन्च हुआ. इसके बाद दुनियाभर में स्मार्टफोन का दौर शुरू हो गया. मोटोरोला और नोकिया जैसी कंपनियां फोन की बदलती तकनीक के हिसाब से खुद को ढाल नहीं पाईं। iPhone लॉन्च होने के दो साल बाद, यानी 2009 में ही मोबाइल फोन के बाजार में एपल कंपनी की 17.4% हिस्सेदारी हो गई. वहीं, मोटोरोला का हिस्सा घटकर 4.9% रह गया. 
 

Apple और Samsung का मुकाबला

आज की स्थिति की बात करें तो मुख्य जंग आईओएस और एंड्रॉयड के बीच ही होती है और नोकिया जैसी कंपनियां हाशिए पर है़ और मुख्य मुकाबला Samsung और Apple के बीच है और भारतीय मार्केट में तेजी से चाईनीज स्मार्टफोन्स ने भी अपना कब्जा जमा रखा है.