Krishna से Sweety तक ये है भारत के सबसे कमजोर Passwords, हो जाएं Hacker से सतर्क

सिक्योरिटी सॉल्यूशंस कंपनी नॉर्डपास (NordPass) हर साल टॉप 200 मोस्ट कॉमन और मोस्ट वीक पासवर्ड्स की लिस्ट जारी करती है.

हिमानी दीवान | Updated: Feb 09, 2022, 03:39 PM IST

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इस सवाल का जवाब हमें ले जाता है कुछ हजार साल पहले फर्नांडो कोरबेटो नाम के एक कंप्यूटर साइंटिस्ट की दुनिया में. वो दुनिया जहां फर्नांडो बेहद शिद्दत से कंप्यूटर साइंस को डेवलेप करने में जुटे थे. सन् 1960 में एमआईटी यानी मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में काम करते हुए फर्नांडो ने इस इंस्टीट्यूट के अन्य शोधकर्ताओं के साथ मिलकर एक बड़ा टाइम शेयरिंग कंप्यूटर सीटीएसएस बनाया.

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फरनेन्डो के अनुसार बहुत सारे टर्मीनलों का इस्तेमाल बहुत सारे लोगों को करना था. इनमें हर एक का अपना निजी डाटा और फाइल्स थीं. इसलिए हर व्यक्ति का एक पासवर्ड रखना समस्या के सबसे सीधे और सरल उपाय के तौर पर सामने आया.

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'राहुल - नाम तो सुना होगा' ये डायलॉग तो भारत में मशहूर है ही,  8 हजार से ज्यादा लोगों ने इस नाम को पासवर्ड भी बनाया हुआ है. इस पासवर्ड को हैक करने में हैकर्स को 17 सेकेंड से भी कम का समय लगा. इस लिस्ट में सुरेश का भी नाम शामिल है. राहुल के मुकाबले तो यह मुश्किल है, लेकिन 2 मिनट में सुरेश नाम के पासवर्ड को भी हैक कर लिया गया. 

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अधिकतर जानकार मानते हैं कि पहला पासवर्ड एमआईटी के टाइम शेयरिंग सिस्टम के जरिए ही आया था. सीटीएसएस ने कंप्यूटर के इस्तेमाल से जुड़ी ऐसी बहुत सी चीजें बनाईं, जिनका आज हम इस्तेमाल करते हैं. इनमें ईमेल, मैसेजिंग, वर्चुअल मशीन और फाइल शेयर करना शामिल है.

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जानकारी आधारित सिस्टम में व्यक्ति को अपनी कुछ जानकारी सिस्टम में स्टोर करनी पड़ती थी. अधिकतर लोगों को ये तरीका काफी थकाउ और उबाउ लगा. इसलिए कंप्यूटर सिक्योरिटी के लिए पासवर्ड का तरीका अपनाया गया. तब से अब तक तकनीक बहुत बदल गई है, लेकिन सुरक्षा के लिए पासवर्ड का कॉन्सेप्ट आज भी वैसा ही है, हालांकि अब फिंगर प्रिंट्स से लेकर फेस डिटेक्शन तक की तकनीक आ गई है, लेकिन पासवर्ड्स एक अहम चीज आज भी हैं और शायद लंबे समय तक रहें.

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भगवान के नाम पर आधारित ये पासवर्ड भी काफी कमजोर साबित हुए. Krishna पासवर्ड को हैक करने में जहां 1 सेकेंड से भी कम समय लगा, वहीं Sairam पासवर्ड 2 मिनट में हैक हो गया. 

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कोरनेल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस प्रोफेसर फ्रेड स्केनीडर के अनुसार 60 के दशक से पहले कुछ और विकल्प भी थे. जैसे यूजर की निजी जानकारी से जुड़े सवाल. इसमें कंप्यूटर पासवर्ड की बजाय आपसे ऐसे सवाल पूछता है जिनके बारे में दूसरा कोई नहीं जानता होगा. मसलन आपकी नानी का नाम इत्यादि.