40 साल पहले भारत में आ गए थे इलेक्ट्रिक व्हीकल, ये थी कीमत

पुष्पेंद्र शर्मा | Updated:Dec 06, 2021, 04:14 PM IST

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इलेक्ट्रिक टू व्हीलर्स को "कोमल" के नाम से जाना जाता था, जिन्हें 'इलेक्ट्रोमोबाइल्स इंडिया लिमिटेड' नामक कंपनी द्वारा निर्मित किया गया था.

डीएनए हिंदी: भारतीय बाजार में इलेक्ट्रिक व्हीकल तेजी से बढ़ रहे हैं. कहा जा रहा है कि लोगों के रुझान को देखते हुए 2023 तक मार्केट में कई कंपनियां अपने इलेक्ट्रिक वर्जन लॉन्च कर सकती हैं.

हालांकि इसके इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर अब भी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है लेकिन भारतीय बाजार के लिए इलेक्ट्रिक व्हीकल सेक्टर नया नहीं है. जी हां, यकीन करना मुश्किल होगा लेकिन ये सच है कि भारतीय बाजार में इलेक्ट्रिक व्हीकल लगभग 40 साल पहले आ गए थे.

इलेक्ट्रिक टू व्हीलर्स को "कोमल" के नाम से जाना जाता था, जिन्हें मैसूर से बाहर स्थित 'इलेक्ट्रोमोबाइल्स इंडिया लिमिटेड' कंपनी द्वारा निर्मित किया गया था.  

एस. केनेथ शिशिर ने स्टार ऑफ मैसूर पर कोमल के बारे में जानकारी साझा की है. कोमल एक इलेक्ट्रिक मोपेड थी. इसे 1980-81 में लॉन्च किया गया था. इसका कारखाना धारवाड़ में था.

इसकी इकाई येलवाल में स्थापित की गई थी और बाद में हुनसुर रोड पर प्रीमियर स्टूडियो परिसर में स्थानांतरित कर दी गई. यह 'ऊर्जा आयोग के वैकल्पिक स्रोत' के तहत एक सरकारी इकाई थी, जिसकी अध्यक्ष तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी थीं.


इस तरह शुरू हुआ प्रोडक्शन

कोमल का ट्रायल प्रोडक्शन रन 1980-81 में शुरू किया गया. यूनिट्स को ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया को भेजा गया. जिसे एआरएआई के नाम से भी जाना जाता है.

ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया पुणे में स्थित है. यहां वाहनों पर विभिन्न परीक्षण किए जाते हैं, ताकि वे मोटर वाहन नियमों के अनुकूल बन सकें. यदि वे उनके आकलन में पास हो जाते हैं तो 'सड़क योग्य प्रमाण पत्र' दिया जाता है. इसके बाद व्हीकल सड़क पर चलने के लिए तैयार हो जाता है.


10 हजार बुकिंग्स
इलेक्ट्रोमोबाइल्स इंडिया लिमिटेड को कोमल के लिए 10 हजार बुकिंग मिलीं, लेकिन उस वक्त केवल 500 का ही प्रोडक्शन किया गया. इसके निर्माता को मैनेजमेंट की समस्याओं का सामना करना पड़ा और कंपनी के पास पैसों की कमी हो गई. इस वजह से इस इलेक्ट्रिक व्हीकल का उत्पादन जल्दी समाप्त हो गया.

कोमल की इलेक्ट्रिक मोटर की आपूर्ति अमेरिका के हनीवेल द्वारा की गई थी, बाकी हिस्सों का निर्माण भारत में किया गया था, यहां तक ​​कि बैटरी भी भारत से थी.

इलेक्ट्रिक मोपेड 12 वोल्ट 70 एएच बैटरी पैक के साथ मार्केट में आई, जो एक चार्ज में लगभग 70 किमी चलती. कोमल की टॉप स्पीड 35 से 40 किमी प्रति घंटे के आसपास रखी गई. इसका मेंटेनेंस काफी कम था.

अनंतपद्मनाभ इलेक्ट्रोमोबाइल्स इंडिया लिमिटेड के इलेक्ट्रिक सेक्शन इंचार्ज थे. उन्होंने स्टार ऑफ मैसूर को बताया कि कोमल दो गति वाली मोपेड में दो बैटरियां थीं जिनकी क्षमता 12 वोल्ट थी. इलेक्ट्रिक मोपेड में तीन रिले थे जो एक प्रसिद्ध निर्माता बॉश से प्राप्त किए गए थे. एक चार्जिंग यूनिट भी थी. इसकी कीमत लगभग 6 हजार रुपए थी.

यदि रिसर्च एंड डवलपमेंट और बेहतर निवेश होता तो मैसूर देश का पहला शहर होता जहां बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिक वाहनों का उत्पादन होता. सरकार कंपनी को बेंगलुरु में एक निजी फर्म को बेचना चाहती थी और सभी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी थीं लेकिन निजी फर्म के मालिक की असामयिक मृत्यु ने इसकी बिक्री को रोक दिया.

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