IIT Delhi की टीम ने बनाए शैडो-लेस पोर्टेबल सोलर टावर, जानिए खासियत

पुष्पेंद्र शर्मा | Updated:Feb 04, 2022, 06:50 PM IST

shadow less solar panel

टीम को लाइटवेट और कॉस्ट इफेक्टिव सोलर पैनल के डिजाइन को पूरा करने में सफलता मिली है.

डीएनए हिंदी: अपनी रिचर्स के लिए मशहूर आईआईटी दिल्ली ने हाई एफिशियेंसी शैडो लैस सोलर पैनल बनाया है. भौतिक विज्ञानी प्रोफेसर दलीप सिंह मेहता के नेतृत्व में आईआईटी दिल्ली की रिसर्च टीम ने यह शैडो लैस सौर पैनल विकसित किया है. इससे नीचे के पैनल पर सीधी धूप पड़ेगी और इससे उसका एनर्जी के लिए बेहतर इस्तेमाल हो सकेगा. यह पूरे दिन बिजली उत्पादन के लिए सोलर पीवी टावर्स को ऑटो-रोटेटिंग भी कर सकता है. 

प्रो. दलीप सिंह ने कहा, गहन शोध के बाद हमें सूर्य की दिशा के साथ घूमने वाले लाइटवेट और कॉस्ट इफेक्टिव सोलर पैनल के डिजाइन को पूरा करने में सफलता मिली है. मैकेनिकल और नॉन मैकेनिकल सोलर टावर क्रमशः 20-25 प्रतिशत और 25-30 प्रतिशत अधिक बिजली बनाने में सक्षम हैं. पारंपरिक सोलर पैनल केवल 50-60 प्रतिशत रूफटॉप स्पेस का उपयोग करते हैं. 

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भारतीय मौसमों के अनुरूप डिजाइन 
'नॉन-मैकेनिकल' और 'मैकेनिकल' ट्रैकिंग सोलर पीवी टावर्स रिफ्लेक्शन कंसंट्रेशन के साथ भारतीय मौसमों के अनुरूप डिजाइन किए गए हैं. जिससे सोलर पैनल से सालभर एनर्जी मिल सकती है. एक अन्य प्रमुख विशेषता यह है कि मैकेनिकल ट्रैकिंग सोलर टावर पोर्टेबल है यानी पूरी यूनिट को ट्रक पर लगाया जा सकता है और बिजली पैदा करने के लिए कहीं भी ले जाया जा सकता है.

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ईवी चार्जिंग के लिए हो सकता है इस्तेमाल 
स्पेस सेविंग 'नॉन मैकेनिकल' और 'मैकेनिकल' 3kW और 5kW क्षमता के सौर PV टावरों को विकसित किया गया है. ये टावर ग्रीन एनर्जी के लिए हाई कैपेसिटी का उपयोग कर सकते हैं. ये पैनल मल्टीपरपज भी हैं. इनका उपयोग इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग स्टेशनों और रूफटॉप एनर्जी प्रोडक्शन में किया जा सकता है. 

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इनका उपयोग एग्रीकल्चर के क्षेत्र में भी किया जा सकता है. जैसे सौर जल पंपिंग, ट्रैक्टरों के लिए बैटरी चार्ज करने आदि के लिए किया जा सकता है. प्रोफेसर दलीप सिंह मेहता के साथ डॉ. मयंक गुप्ता, भौतिकी विभाग के वीरेंद्र कुमार, मसूद अली और संजय अंबवानी रिसर्च टीम का हिस्सा रहे. 

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आईआईटी दिल्ली सोलर पैनल