कोहरे ने रेलवे को लगाया चूना, इतने हजार टिकट हो गए रद्द, Fog Pass Device बन रही सहारा

Written By कुलदीप पंवार | Updated: Jan 04, 2024, 04:04 PM IST

Fog के कारण ट्रेनों के घंटों लेट चलने से यात्रियों को कड़ाके की ठंड में स्टेशनों पर घंटों ठिठुरना पड़ रहा है.

What is Fog Pass Device: कोहरे के कारण अधिकतर ट्रेन अपने तय समय से 7-8 घंटे सेभी ज्यादा तक लेट चल रही हैं. हालांकि इससे निपटने के लिए रेलवे ट्रेनों में फॉग डिवाइस लगा रहा है, जिससे संचालन आसान हुआ है.

डीएनए हिंदी: Indian Railway Latest News- सर्दी का मौसम शुरू होते ही समूचा उत्तर भारत कोहरे की चपेट में आ जाता है. इससे जहां आम जनजीवन प्रभावित होता है, वहीं आवागमन के साधनों पर भी इसका बड़ा असर पड़ता है. कोहरे का सबसे ज्यादा प्रभाव भारतीय रेलवे पर होता है, जहां रोजाना सैकड़ों ट्रेन अपने तय समय से कई-कई घंटे लेट होने लगती हैं. इस समय भी भारतीय रेलवे को कोहरे के इसी कहर से जूझना पड़ रहा है. ट्रेनों के 10-12 घंटे तक लेट चलने के कारण बड़ी संख्या में यात्री अपना टिकट कैंसिल करा रहे हैं. इसके चलते रेलवे को दिसंबर महीने में करोड़ों रुपये का चूना लगा है. हालांकि रेलवे ने अब इस समस्या से निपटने के लिए ट्रेनों में Fog Pass Device लगाना शुरू कर दिया है, जिससे कोहरे में भी ट्रेनों का आवागमन सुचारू ढंग से हो पाएगा.

मुरादाबाद मंडल में ही 25 हजार से ज्यादा टिकट रद्द

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अकेले मुरादाबाद रेल मंडल में ही 25 हजार से ज्यादा यात्रियों ने दिसंबर महीने में अपना टिकट रद्द करा दिया, जिससे 1 करोड़ रुपये से भी ज्यादा रकम रिफंड करनी पड़ी है. जनवरी महीने की शुरुआत भी भयंकर कोहरे के साथ हुई है, जिसके चलते इस महीने में भी रेलवे को राहत मिलने के आसार नहीं दिख रहे हैं. इस लिहाज से देखा जाए तो पूरे उत्तर भारत से यह आंकड़ा 40 से 50 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है. इसमें ऑनलाइन बुकिंग के बाद रद्द किए गए टिकट का आंकड़ा नहीं जुड़ा हुआ है. उसे जोड़ने पर यह आंकड़ा 70-75 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का होने की उम्मीद है

कोहरे से निपटने के लिए ट्रेनों में फॉग पास डिवाइस

भारतीय रेलवे ने कोहरे की समस्या से निपटने के लिए ट्रेनों में फॉग पास डिवाइस लगाना शुरू कर दिया है, जो जीपीएस आधारित नेविगेशन देता है. इससे घने कोहरे में भी सामने देखे बिना ट्रेन को आसानी से निश्चित गति पर दौड़ाया जा सकता है. PIB के मुताबिक, अब तक 19742 ट्रेनों में यह डिवाइस लगाया जा चुका है. सबसे ज्यादा 4491 डिवाइस उत्तर मध्य रेलवे की ट्रेनों में लगे हैं. इसके बाद 2955 डिवाइस दक्षिण पूर्व रेलवे जोन की ट्रेनों में लगाए गए हैं. पूर्व मध्य रेलवे ने 1891, पूर्वोत्तर रेलवे ने 1762, उत्तर मध्य रेलवे ने 1289 डिवाइस लगाए हैं. बाकी रेलवे जोन में भी ये डिवाइस सैकड़ों ट्रेन में लगाए जा चुके हैं.

कैसे काम करती है फॉग पास डिवाइस

फॉग पास डिवाइस से जीपीएस के जरिये लोको पायलटों को सिग्नल, लेवल क्रॉसिंग गेट, स्थायी गति प्रतिबंध आदि के बारे में ऑन बोर्ड रियल टाइम इंफॉर्मेशन मिलती है. यह डिवाइस लगभग 500 मीटर तक ध्वनि संदेश के साथ-साथ अन्य संकेत देती है. ये डिवाइस 160 किलोमीटर प्रति घंटा तक की ट्रेनों में सटीक इंफॉर्मेशन देती है. करीब 18 घंटे बैटरी बैकअप वाली डिवाइस 1.5 किलोग्राम वजन की होती है. इसे लोको पायलट ट्रेन के आखिरी स्टॉपेज पर पहुंचने के बाद नीचे उतारकर अपने साथ ले जाते हैं ताकि इसे चार्ज करने या मेंटिनेंस करने का काम किया जा सके. इससे घने कोहरे में भी सामान्य गति से ट्रेन को दौड़ाना आसान हो रहा है.

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