डीएनए हिंदी: देशभर में इलेक्ट्रिक व्हीकल तेजी से बढ़ रहे हैं. ऐसे में केंद्र सरकार इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रही है. जानकारी के अनुसार, पर्यावरण मंत्रालय तीन महीने में बैटरी रीसाइकिल पॉलिसी लाने की तैयारी कर रहा है. इसके साथ ही 60 दिन में बैटरी स्टेंडर्ड गाइडलाइंस और 3 महीने में स्वैपिंग पॉलिसी लाई जाएगी.
क्या है बैटरी स्वैपिंग
बजट 2022 में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को बढ़ावा देने के लिए एक अहम घोषणा की गई थी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी का ऐलान किया था.
इस पॉलिसी का फायदा यह है कि इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बैटरी को चार्ज करने का झंझट काफी हद तक कम हो जाएगा. इस पॉलिसी के तहत बैटरी बदलने की छूट मिलेगी. उदाहरण के लिए किसी चार्जिंग स्टेशन पर जाकर डिस्चार्ज बैटरी को चार्ज करने के बजाय आप फुल चार्ज बैटरी लेकर जा सकेंगे. आसान भाषा में कहें तो बैटरी स्वैपिंग एक ऐसी विधि है जिसमें खत्म हो चुकी बैटरी को पूरी तरह चार्ज बैटरी से बदल दिया जाता है.
सरकार को उम्मीद है कि बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी के बाद लोगों को ईवी खरीदने और उन्हें चलाने में आसानी होगी. लोग बिना बैटरी के भी इलेक्ट्रिक गाड़ी की खरीदारी कर सकेंगे. इससे कीमतों में भी कमी आएगी और दूसरी किसी कंपनी से बैटरी लीज पर लेने की छूट रहेगी.
सरकार का लक्ष्य
सरकार ने 2030 तक सभी गाड़ियों को इलेक्ट्रिक करने का लक्ष्य रखा है. पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से छुटकारा पाने के लिए लोग इसे एक अच्छे विकल्प के तौर पर देख रहे हैं. यही वजह है कि मार्केट में कई कार कंपनियां इलेक्ट्रिक व्हीकल पर फोकस कर रही हैं तो वहीं लोग भी शोरूम पर पेट्रोल डीजल के बजाय इलेक्ट्रिक व्हीकल की जानकारी जुटाते नजर आ रहे हैं.