कचरे और सॉलिड वेस्ट से चलेंगीं कारें, 2022 से ग्रीन हाइड्रोजन को ईंधन बनाने की तैयारी

Written By कृष्णा बाजपेई | Updated: Dec 03, 2021, 02:58 PM IST

नितिन गडकरी ने संभावनाएं जताई हैं कि वो अगले वर्ष ग्रीन एनर्जी के तहत हाइड्रोजन से कार चलाने का काम कर सकते हैं.

डीएनए हिंदीः पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ती कीमतों के बीच लोगों की जेब पर तगड़ा झटका लग रहा है तो दूसरी ओर प्रदूषण में वृद्धि हो रही है. ऐसे में अब मोदी सरकार लगातार देश में वैकल्पिक ऊर्जा के स्रोतों को विस्तार देने पर काम कर रही है. इन्ही प्रयासों के बीच एक प्रोजेक्ट ग्रीन हाइड्रोजन का भी है. इसकी सीधी मॉनिटरिंग केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी कर रहे हैं. उन्होंने संभावनाएं जताई हैं कि जल्द ही भारत में ग्रीन हाइड्रोजन के ईंधन  से कारें चलती नजर आएंगी.

हाइड्रोजन ईंधन की शुरुआत 

मोदी सरकार लगातार वैकल्पिक ऊर्जा से जुड़े संसाधनों को विस्तार देने पर काम कर ही है. इलेक्ट्रिक व्हीकल से लेकर गैस से चलने  वाले वाहनों की संख्या को बढ़ाने पर जोर शोर से काम जारी है. वहीं मोदी सरकार के सबसे कामकाजी मंत्रियों में से एक सड़क परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग नितिन गडकरी भी इस क्षेत्र में क्रांतिकारी सुधारों पर काम कर रहे हैं. ऐसे में अब उन्होंने ग्रीन हाइड्रोजन से कारों के चलने का ऐलान कर दिया है. संभावनाएं है कि वो वर्ष 2022 की शुरुआत में ही इस नई तकनीक की लॉन्चिंग भी कर देंगे. 

इस पायलट प्रोजक्ट के तहत गडकरी ने एक कार भी खरीदी है  और फरीदाबाद के एक ऑयल रिसर्च सेंटर से हाइड्रोजन लेकर इसके ईंधन संबंधी प्रयोगों पर रिसर्च की जा रही है. 

खुद कर रहे मॉनिटरिंग 

नितिन गडकरी ग्रीन हाइड्रोजन को लेकर चल रहे पायलट प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग कर रहे हैं. उन्होंने इस पायलट प्रोजेक्ट को लेकर कहा, "सरकार ग्रीन हाइड्रोजन से चलने वाले सार्वजनिक परिवहन चलाने की योजना बना रही है. हम चाहते हैं कि कार, बस, ट्रक सब कुछ ग्रीन हाइड्रोजन से ही चले. इसके लिए नदी-नालों में गिरने वाले गंदे पानी का उपयोग किया जाए, उनसे ग्रीन हाइड्रोजन तैयार की जाए."

वेस्ट से बनेगा ईंधन

मोदी सरकार कचरे से लेकर गंदे पानी तक का उपयोग कर इससे ईंधन बनाने की तैयारी कर रही है. इसको लेकर केंद्रीय मंत्री ने कहा, इस योजना के तहत सीवेज के पानी को काम में लाया जाता है. अब नागपुर अपने यहां के सीवेज के पानी को महाराष्ट्र सरकार को बेचता है, उससे बिजली बनाई जाती है. इससे वह 325 करोड़ रुपये हर साल कमाता है. कुछ भी बेकार नहीं है. वेस्ट में वैल्यू एड करें तो बहुत कुछ तैयार हो सकता है. सीवेज पानी से ग्रीन हाइड्रोजन तैयार की जा सकती है.

मोदी सरकार का ग्रीन एनर्जी वाला ये प्रोजक्ट यदि लॉन्च होता है तो निश्चित ही इसे अगले वर्ष की शुरुआत में लॉन्च कर दिया जाएगा. इसकी कामयाबी देश में ऊर्जा के एक नए स्रोत को इजात करेगी जिससे प्रदूषण से भी मुक्ति मिलेगी.