'नशे' में धुत होकर गाड़ी चलाता है ये शख्स, एक कागज दिखाते ही कुछ नहीं बिगाड़ पाती पुलिस

Written By पुनीत जैन | Updated: May 04, 2024, 05:33 PM IST

Drink and Drive Case

बेल्जियम के एक 40 वर्षीय शख्स को ऑटो-ब्रूअरी सिंड्रोम नामक एक बेहद अजीबो-गरीब बीमारी है. इस बीमारी में शख्स को भीतर नशे के लक्षण दिखाई देते हैं हालांकि उसने नशे से संबंधित किसी चीज का सेवन नहीं किया होता.

शराब पीकर गाड़ी चलाना एक बेहद ही गंभीर अपराध है. दुनिया के सभी देशों में नशें की हालत में ड्राइव करने पर चालक पर गंभीर चार्ज लगाए जाते हैं. इसके अलावा उसका भारी चालान भी काटा जाता है. लेकिन दुनिया में एक ऐसा भी शख्स मौजूद है जो हमेशा नशे में धुत होकर ड्राइव करता है पर फिर भी पुलिस उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाती. बेल्जियम का रहने वाला ये 40 साल का शख्स हमेशा नशे की हालत में ड्राइव करता है. जब भी पुलिस उसे रोकती है तो पुलिस को एक कागज के आधार पर उसे छोड़ना पड़ जाता है. जानकारी के मुताबिक शख्स को एक बहुत ही अजीबो-गरीब बीमारी है. 


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ऑटो-ब्रूअरी सिंड्रोम से है पीड़ित 
दरअसल शख्स को ऑटो-ब्रूअरी सिंड्रोम (Auto-brewery syndrome/gut fermentation syndrome) नाम की एक बीमारी है. ऑटो-ब्रूअरी सिंड्रोम वाले मरीजों में शराब के नशे से संबंधित कई लक्षण पाए जाते हैं, हालांकि उन्होंने शराब पी भी नहीं होती है. इस स्थिति में आंत में कवक की ज्यादा मात्रा में वृ्द्धी से कार्ब्स और शर्करा अल्कोहल में बदल देती है जो इंसान को खून में पाई जाती है, जिससे ब्रेथ टेस्ट में शराब की मात्रा का पता चलता है. साथ ही पेट के इस स्थिति में फरमेंट होने पर यह आपके खून में इथेनॉल के लेवल को बढ़ा देता है और व्यक्ति को नशे के लक्षण दे देता है.


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शख्स को दो बार पकड़ चुकी है पुलिस 
पुलिस दो बार शख्स को शराब पीकर गाड़ी चलाने के जुर्म में गिरफ्तार कर चुकी है. पहली बार जब उसे रोका गया और उसका ब्रेथटेस्ट किया गया तो प्रति लीटर .91 मिलीग्राम अल्कोहल की रीडिंग दर्ज की गई. वहीं दूसरी बार ब्रेथलाइजर ने .71 प्रतिलीटर की रिडिंग रिकॉर्ड की. बेल्जियम के कानून के हिसाब से ब्रेथलाइजर में नशे की सीमा .22 मिलीग्राम तय की गई है जिसके हिसाब से उसकी रीडिंग काफी अधिक है. 


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केवल 20 लोग इस बीमारी से संक्रामित हैं
साल 2019 में, इस अपराध में शख्स का ड्राइविंग लाइसेंस कैंसिल कर दिया गया था. साथ ही उसके ऊपर भारी जुर्माना भी लगाया गया था. फिर साल 2022 में उसे अदालत में पेश किया गया, जहां उसके वकील ने कहां कि तीन डॉक्टरों द्वारा शख्स का ऑटो-ब्रूअरी सिंड्रोम का टेस्ट किया गया है जिसमें उसकी इस बीमारी का पता चला है. इसकी मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर शख्स को बरी कर दिया गया था. डॉक्टरों के मुताबिक, दुनिया में केवल 20 लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं. हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि इस बीमारी से पीड़ित लोगों की संख्या अधिक भी हो सकती है.

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