डीएनए हिंदी: ब्लैक टाइगर बेहद दुर्लभ प्रजाति का जानवर है और जब भी कभी ये नजर आते हैं उसकी चर्चा होने लगती है. ओडिशा के सिमिलिपाल नेशनल पार्क से इस दुर्लभ प्रजाति के बाघ का वीडियो सामने आया है. आईएफएस अधिकारी ने सोशल मीडिया पर ये वीडियो शेयर किया है जिसमें पूरा परिवार साथ नजर आ रहा है. IFS अफसर सुशांता नंदा ने 17 सेकेंड का यह वीडियो सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म ‘एक्स’ पर डाला और कुछ ही मिनट में यह वायरल हो गया है. ब्लैक टाइगर स्यूडो-मेलानस्टिक बाघ होते हैं और आनुवांशिक कारणों से इनके शरीर पर काले रंग की चौड़ी धारियां होती हैं. कई बार तो ये धारियां इतनी गहरी होती हैं कि ये पूरी तरह से काले रंग के बाघ ही दिखने लगते हैं.
सोशल मीडिया पर वायरल क्लिप में चार वयस्क ‘ब्लैट टाइगर’ दिख रहे हैं. आईएफएस अधिकारी ने वीडियो के साथ कैप्शन लिखा, 'प्रकृति हमें आश्चर्यचकित करने में कभी नहीं चूकती. यह अत्यंत दुर्लभ प्रजाति के बाग हैं. ओडिशा के जंगलों से एक पूरा ‘स्यूडो-मेलानस्टिक’ बाघ परिवार.' भारत में अब इस प्रजाति के 10 ही बाघ बचे हैं और ऐसे में इनके पूरे परिवार का वीडियो सामने आना दुर्लभ मौके की तरह है. वीडियो रात के समय का लग रहा है.
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भारत में सिर्फ 10 ब्लैक टाइगर बचे हैं
ओडिशा के सिमिलीपाल नेशनल पार्क में ब्लैक टाइगर हैं लेकिन इनकी संख्या बहुत कम है. इस पार्क में साधारण और ‘स्यूडो-मेलानस्टिक’ बाघ पाए जाते हैं. लोग यहां ब्लैक टाइगर देखने की उम्मीद में आते हैं लेकिन ज्यादातर निराशा ही हाथ लगती है. दिसंबर में भारत सरकार ने राज्यसभा में बताया था कि भारत में मौजूदा वक्त में सिर्फ 10 ब्लैक टाइगर ही बचे हैं और यह भारत में सिर्फ ओडिशा के सिमिलीपाल नेशनल पार्क में हैं. सरकार इन्हें संरक्षित करने के लिए सारी कोशिश कर रही है.
आनुवांशिक कारणों से बाघ के शरीर पर होती हैं गहरी काली धारियां
ब्लैक टाइगर को यह नाम उनकी शारीरिक विशेषता की वजह से मिला है क्योंकि इनके शरीर पर गहरी काली धारियां मिलती हैं. शोधकर्ताओं का मानना है कि काले बाघ के धारियों के पैटर्न और रंग में बदलाव आनुवंशिक डीएनए की वजह से होता है. इनके डीएनए वर्णमाला में सी (साइटोसिन) से टी (थाइमाइन) में ताकपेप जीन अनुक्रम स्थिति में बदलाव की वजह से ऐसी शारीरिक बनावट होती है. इसे बेहद दुर्लभ तरीके की डिजीज जैसा कह सकते हैं.
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