डीएनए हिंदी: Haryana News- कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus) के कारण पूरी दुनिया में खौफ का माहौल बना रहा. दुनियाभर में इस महामारी के कारण लाखों लोगों की मौत हो गई, लेकिन पिछले एक साल से हालात पूरी तरह सामान्य हो चुके हैं. इसके बावजूद बहुत सारे लोग अब भी इस महामारी के कारण मरने के डर में जी रहे हैं. ऐसा ही एक मामला हरियाणा के गुरुग्राम (Gurugram) में सामने आया है. गुरुग्राम के मारुति विहार इलाके में पुलिस ने एक महिला और उसके बेटे को रेस्क्यू किया है, जो कोविड-19 की चपेट में आने के डर से पिछले तीन साल के दौरान कभी घर से बाहर नहीं निकली. महिला और उसके बेटे के बारे में जानकारी उसके पति ने ही पुलिस को दी, जो तीन साल से किराये के मकान में रहकर दोनों का खाना पहुंचाते हुए परेशान हो गया था. महिला और उसके बेटे को मानसिक इलाज के लिए पुलिस ने हेल्थ डिपार्टमेंट के हवाले किया है.
पति को भी नहीं आने दिया 3 साल तक घर
दरअसल मुनमुन नाम की महिला 3 साल पहले कोरोना महामारी का कहर सामने आने पर बेहद डर गई थी. उसने अपने 8 साल के बेटे समेत खुद को घर के अंदर बंद कर लिया ताकि वह वायरस की चपेट में ना आ सके. महिला ने अपने पति की भी घर में एंट्री बंद कर दी. नतीजतन उसे दूसरी जगह किराये पर मकान लेकर रहना पड़ रहा था. वह पिछले 3 साल से घर पर अपनी पत्नी और बेटे का खाना दोनों समय उपलब्ध करा रहा था, लेकिन उसकी पत्नी उसे बेटे से भी नहीं मिलने देती थी. यहां तक कि खाना लाने पर भी उसे घर के बाहर से ही वापस भेज देती थी.
समझाकर थक गया तो पुलिस के पास पहुंचा पति
पति के मुताबिक, उसका बेटा 8 साल की उम्र से 11 साल की उम्र तक घर में ही बंद रहा, जिससे उसका मानसिक विकास प्रभावित हुआ है. पत्नी भी कोरोना के डर से मानसिक बीमार जैसी हो चुकी है. वह पिछले काफी समय से पत्नी को समझा रहा था, लेकिन वह उसकी बात सुनने को तैयार ही नहीं थी. लगातार किराये पर रहने के कारण वह भी परेशान हो चुका था. इसी कारण उसने आखिरकार पुलिस का सहारा लिया. पुलिस के रेस्क्यू करने के बाद मां-बेटे का इलाज अब मनोचिकित्सक से कराया जा रहा है.
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