डीएनए हिंदी: 2 जून के आते ही हर साल सोशल मीडिया पर '2 जून की रोटी' ट्रेंड होने लगता है. सोशल मीडिया यूजर्स रोटी की फोटो डालकर पूछने लगता है कि क्या आपने 2 जून की रोटी खा ली है. हम सब अक्सर ही सुनते आए हैं कि जिंदगी में ज्यादा कुछ नहीं चाहिए, बस सुकून से 2 जून की रोटी मिल जाए. अब यहां जानिए कि 2 जून की रोटी का मतलब क्या है? सोशल मीडिया पर यह ट्रेंड क्यों हो रहा है.
सोशल मीडिया से लेकर आम बातचीत में आपने लोगों को कहते सुना होगा कि मजलूम का ये ख्वाब है बस एक कसौटी, मिलती रहे हर हाल में दो जून की रोटी. अब यह भी जान लीजिए कि आखिर यह 2 जून की रोटी का मसला क्या है. जो लोग सुबह से सोशल मीडिया पर इसका जिक्र रहे हैं. कुछ लोग मौज लेते हुए कह रहे हैं कि हमें तो 2 तो जून की रोटी मिल गई है.
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जानिए क्या है '2 जून की रोटी' का मतलब?
सबसे पहले तो यह जान लीजिए कि जून का मतलब यहां पर किसी महीने से बिलकुल नहीं है. 2 जून की रोटी एक कहावत है और इसका मतलब 2 वक्त के खाने से होता है. अवधी भाषा में जून का मतलब वक्त समय से होता है यानि आपको 2 समय का भोजन मिल जाए. जब किसी को दोनों वक्त का खाना नसीब हो जाए तो उसे दो जून की रोटी कहते हैं. जिसे नहीं मिलता उसके लिए कहा जाता है कि दो जून की रोटी तक नहीं नसीब हो रही है. यह बेशक अवधी भाषा का शब्द है लेकिन इसका इस्तेमाल बुंदेलखंड सहित कई इलाकों में किया जाता है.
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प्रेमचंद्र और जयशंकर प्रसाद ने अपनी कहानियों में किया है इसका जिक्र
हिंदी के प्रसिद्ध कहानीकार मुंशी प्रेमचंद्र और जयशंकर प्रसाद ने अपनी कहानियों में 2 जून की रोटी का कई बार जिक्र किया है. मुंशी प्रेमचंद की कहानी 'नमक का दरोगा' में इस लोकोक्ति का जिक्र हुआ है. वहीं, कुछ लोगों ने यह भी कहा है कि जून का महीना सबसे गर्म होता है. यह महीना किसानों और मजदूरों के लिहाज से काफी मुश्किल भरा होता है. जब वो काम कर के थक जाते हैं. तब जाकर उन्हें रोटी नसीब होती है.
सोशल मीडिया पर हो रहा ट्रेंड
'2 जून की रोटी' का जिक्र करते हुए सोशल मीडिया पर लोग कई तरह की बातें लिख रहे हैं. एक ट्विटर यूजर ने रोटी की फोटो के साथ लिखा कि आखिरकर आज 2 जून की रोटी नसीब हो ही गई, आओ मित्रों आप सब भी खा लो. एक अन्य ट्विटर यूजर ने कमेंट किया कि आज के दिन रोटी अवश्य खाएं. आज के दिन की रोटी का विशेष महत्व होता है, क्योंकि 2 जून की रोटी बहुत किस्मत से मिलती है. आज ही वो साल का दिन है. जिसके लिए हम सब मेहनत करते हैं. सोशल मीडिया इसी तरह के जोक्स और मीम्स से भरा पड़ा है.
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