डीएनए हिंदी: Dussehra 2022: उत्तर प्रदेश के पीलीभीत की रामलीला में दशहरा के दिन तीर बार रावण वध के दौरान रावण के पात्र की मौत हो चुकी है, उसके बाद से यहां की रामलीला ऐतिहासिक हो गई है. यह सच्ची रामलीला के नाम से दूर-दूर तक जानी जाती है. दशहरे के दिन रावण के पात्र की मौत होने के कारण यहां दशहरे पर रावण दहन की परंपरा नहीं निभाई जाती है. यहां दशहरे के 1 दिन बाद 6 अक्टूबर को रावण दहन का कार्यक्रम होगा.
दरअसल उत्तर प्रदेश के पीलीभीत की तहसील बीसलपुर में रावण की भूमिका निभाने वाले मुंशी छेदा लाल का सन 1962 में लीला करते समय मृत्यु हो गई थी. उसके बाद 1978 में दशहरा वाले दिन मोती महाराज की मृत्यु भी मैदान में हो गई. इनकी मृत्यु भी रावण वध की लीला के समय ही हुई.
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इसी प्रकार सन 1987 में कल्लू मल ने भी रावण वध लीला के दौरान अपने प्राण त्याग दिए. जब कल्लू मल रावण बनकर राम से युद्ध कर रहे थे लीला में रावण वध के दौरान ही उनकी मौत हो गई. इनकी मृत्यु के गवाह तत्कालीन डीएम एसपी और लाखों की भीड़ बनी. उस दिन से यहां दशहरा के दिन रावण का वध नहीं होता है.
कल्लू मल की मृत्यु के बाद उनके पुत्र दिनेश रस्तोगी रावण की भूमिका निभा रहे हैं. दिनेश के घर में सभी के नाम के आगे रावण लगा हुआ है. दिनेश कुमार रावण ने अपनी दुकान का नाम भी लंकेश ज्वेलर्स रखा है. दिनेश कुमार से कोई राम-राम कह दे तो इन्हें बुरा भी लग जाता है.
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रामलीला मैदान में कल्लू मल की मौत के बाद मूर्ति भी लगाई गई है ये राम लीला ऐतिहासिक बन गई. उसके बाद से हर बार जब भी रावण का वध होता है तो लोग सहम जाते हैं. वध का नाटक होने के बाद जब तक रावण का पात्र उठ नहीं जाता है तब तक कोई जयकारा और शोर नहीं करता है रावण पात्र के उठते ही उद्घोष होने लगता है.
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