Positive News: गांव में नहीं था पानी इसलिए 3 भैंस के साथ आना पड़ा शहर, आज खड़ा किया करोड़ों का डेयरी कारोबार 

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Sep 02, 2023, 11:22 PM IST

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Gujarat Viral News: गुजरात के सूरत में रहने वाले भीमाभाई कारावदारा को पानी की कमी की वजह से अपना गांव छोड़कर शहर आना पड़ा था. उन्होंने इसे अवसर के तौर पर देखा और आज सूरत में एक सफल कारोबार चला रहे हैं. 

डीएनए हिंदी: भीमाभाई कारावदारा की कहानी बहुत से लोगों के लिए प्रेरणा है. साल 1987 में भीमाभाई ने जामनगर छोड़ दिया था और सूरत चले आए. जिस वक्त वह सूरत पहुंचे थे उस वक्त उनके पास सिर्फ 3 भैंसे थीं लेकिन आज उनकी डेयरी में 350 भैंसे हैं. उनके पास आलीशान गाड़ियों का कलेक्शन है और हर साल वह लाखों में मुनाफा भी कमा रहे हैं. साथ ही वह अपने डेयरी फर्म से बहुतों को रोजगार भी दे रहे हैं. भीमाभाई ने अपने छोटे से पशुपालन के कारोबार को बड़े बिजनेस में तब्दील किया और आज वह सूरत के सफल डेयरी कारोबारी के तौर पर जाने जाते हैं. जानें क्या है उनकी कहानी और कैसे उन्होंने छोटे से कारोबार को इतने बड़े पैमाने पर फैलाया. 

जामनगर से सूरत आए और फिर मुड़कर नहीं देखा 
भीमाभाई कारावदारा गुजरात के जामनगर से आए थे और उस वक्त वह एक मामूली पशुपालक थे. भीमाभाई का कहना है कि मेरा परिवार पारंपरिक तौर पर पशुपालन के काम से ही जुड़ा था. मैं हमेशा से इस क्षेत्र में कुछ बेहतर करना चाहता था और इसलिए मैं करीब 37 साल पहले सूरत चला आया. इस शहर में मुझे अपने लिए कारोबार भी जमाना था और परिवार को भी देखना था. ईश्वर की कृपा है और परिवार का साथ मिला कि पशुपालन के अपने काम को आगे बढ़ाने में मैं कामयाब रहा. 

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भीमाभाई के इस कारोबार में उनके तीनों बेटे भी हाथ बंटाते हैं और उनके पास सूरत में आधुनिक उपकरणों और वैज्ञानिक तरीके से पशुपालन करने वाला एक कैटल फर्म है. उनकी डेयरी से तैयार होने वाला दूध सूरत ही नहीं बल्कि गुजरात के दूसरे जिलों में भी पहुंचता है. उन्होंने एक मीडिया समूह से बातचीत में कहा कि दूध बेचकर वह हर महीने 5 से 7 लाख रुपये तक की बचत कर रहे हैं और अपने परिवार को भी शानदार जिंदगी दे रहे हैं. पशुपालन और डेयरी कारोबार से जुड़ी नई तकनीकों को भी अपनाने से वह पीछे नहीं हटते हैं. 

गांव में पानी की समस्या की वजह से आना पड़ा था सूरत 
एक मीडिया समूह को दिए इंटरव्यू मे भीमाभाई ने बताया कि जामनगर के हमारे गांव में पानी की बहुत समस्या थी. पानी नहीं होने की वजह से हम अपने पशुओं की ठीक से देखभाल नहीं कर पा रहे थे और सूखे की वजह से खेती करना भी मुमकिन नहीं था. ऐसे में शुरुआत में हम सिर्फ गर्मियां बिताने के लिए सूरत आए थे लेकिन फिर यहीं बस गए. उनका कहना है कि फिलहाल वह अपनी डेयरी के जरिए और लोगों को भी रोजगार देने की योजना पर काम कर रहे हैं. उनका लक्ष्य डेयरी से जुड़े कुछ और मिल्क प्रोडक्ट बनाने का है. 

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