Korea में नस्लवाद का शिकार हुआ भारतीय YouTuber, दीपांशु सांगवान ने शेयर की Video

| Updated: Sep 25, 2024, 06:29 PM IST

Dipanshu Sangwan

सोशल मीडिया पर नस्लवाद और अंतरराष्ट्रीय यात्राओं के दौरान होने वाले सांस्कृतिक भेदभाव पर नई चर्चा छिड़ गई है. Nomadic Indian नाम से यूट्यूब चैनल चलाने वाले दीपांशु सांगवान ने अपनी कोरिया यात्रा के दौरान का एक वीडियो शेयर किया. वहां उन्होंने इस भेदभाव के बारे में बताया है.

Indian Faces Racism In South Korea: साउथ कोरिया में एक भारतीय ट्रैवल व्लॉगर (Travel Vlogger) को नस्लीय भेदभाव (Racial Discrimination) का सामना करना पड़ा. इसके बाद से सोशल मीडिया (Social Media) पर काफी चर्चा हो रही है. Nomadic Indian नाम से यूट्यूब चैनल (Youtube Channel) चलाने वाले दीपांशु सांगवान ने अपनी कोरिया यात्रा के दौरान का एक वीडियो शेयर किया. वहां उन्होंने इस भेदभाव (Discrimination) के बारे में बताया है.

दीपांशु ने अपने वीडियो में बताया कि साउथ कोरिया में लोग उन्हें अजीब नजरों से देखते थे. इसकी वजह से वो काफी असहज भी महसूस करते थे. उन्होंने कहा, 'हम भारतीय हैं, हमारी त्वचा ब्राउन है, हम तो ऐसे ही पैदा हुए हैं. लोग यहां इस पर ज्यादा ध्यान देते हैं.' दीपांशु का कहना है कि नस्लवाद (Racism) सिर्फ साउथ कोरिया में ही नहीं है, बल्कि भारत में भी देखा जा सकता है. उन्होंने कहा, 'भारत में भी कई बार अफ्रीकी मूल के लोगों के साथ भेदभाव होता है, लेकिन उतना खुलेआम नहीं जितना मैंने यहां महसूस किया.'

यात्रा पर जाने वालों के लिए सलाह
दीपांशु ने अपने उन दर्शकों (Viewer) को भी सलाह दी है जो साउथ कोरिया जाने का सोच रहे हैं. उन्होंने कहा वहां इस तरह के व्यवहार के लिए तैयार रहना चाहिए ताकि वो ज्यादा चौंके नहीं.  उन्होंने कहा, 'अगर आपकी त्वचा ब्राउन है, तो आप वहां अलग दिखते हैं. अगर आप गोरे हैं, तो भी लोग आपको अजीब नजरों से देख सकते हैं.'


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सोशल मीडिया पर रिएक्शन
दीपांशु के इस अनुभव के बाद कई लोग सोशल मीडिया पर अपनी बात रख रहे हैं. एक यूजर ने लिखा, 'मेरा दोस्त सियोल (Seoul) में काम करने गया था, और वहां किसी ने लंच के दौरान उसके पास बैठने से मना कर दिया.' दीपांशु ने कोरियाई संस्कृति (Culture) के बारे में भी बात की और कहा कि उनकी संस्कृति में बहुत से प्रभाव चीनी परंपराओं (Traditions) से आए हैं. उन्होंने कहा कि हर देश में सांस्कृतिक अंतर होते हैं, लेकिन हमें एक-दूसरे को समझने की कोशिश करनी चाहिए. साउथ कोरिया में दीपांशु के इस अनुभव ने लोगों के बीच नस्लवाद और अंतरराष्ट्रीय यात्राओं के दौरान होने वाले सांस्कृतिक भेदभाव (Cultural Discrimination) पर नई चर्चा छेड़ दी है.

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