डीएनए हिंदी: आज हम आपको देश के एक ऐसे शहर के बारे में बताने वाले है जहां शहर के कचरे से करोड़ों की कमाई की जा रही है. ये शहर भारत के सबसे साफ शहरों की लिस्ट में भी टॉप पर है. यह शहर कूड़े के निपटारे के लिए ऐसी प्रक्रिया का इस्तेमाल कर रहा है कि इससे करोड़ों की कमाई हो रही है. शनिवार, 1 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने वार्षिक स्वच्छता सर्वेक्षण के नतीजे जारी किए हैं. इस लिस्ट में इस बार भी इंदौर सबसे ऊपर है. मध्यप्रदेश के इंदौर शहर को लगातार छठी बार भारत के सबसे साफ शहर का अवार्ड मिला है. इंदौर के बाद इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर सूरत और तीसरे नंबर पर नवी मुंबई है.
मध्यप्रदेश की 35 लाख की आबादी वाला यह शहर इंदौर रोजाना करीब 1,900 टन कचरे की प्रोसेसिंग करता है जिससे करोड़ों की कमाई होती है और इन पैसों से बसों में फ्यूल भरा जाता है. भले ही यहां पर इतना कचरा निकलता हो फिर भी इंदौर की स्वच्छता की वजह से इसे कचरा मुक्त शहर कहा जाता है.
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कचरे से बनाते करोड़ों
इंदौर में कचरे का निपटारा करने और इससे पैसे कमाने के लिए कचरे को अलग अलग इकट्ठा किया जाता है. 'गीला कचरा' और 'सूखा कचरा' अलग अलग करना कोई आसान काम नहीं है इंदौर में इसके लिए छह अलग अलग लेवल पर काम किया जाता है. इंदौर नगर निगम के क्लीनिंग विंग सुपरिटेंडेंट महेश शर्मा ने बताया कि यहां पर 850 से ज्यादा कचरा इकट्ठा करने की गाड़ियां हैं जो शहर भर से कचरा इकट्ठा करती है. इन गाड़ियों में गीले और सूखे कचरे के लिए अलग-अलग बॉक्स बने हुए हैं इस तरह कचरा इकट्ठा करने के साथ ही इसे अलग करने का काम भी शुरू हो जाता है.
इंदौर नगर निगम एक Bio-CNG संयंत्र चलाता है जो सिर्फ शहर के गीले कचरे पर चलता है. यह एशिया का सबसे बड़ा Bio-CNG संयंत्र है. इसका उद्घाटन 19 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था यह 17,000 से 18,000 किलोग्राम Bio-CNG और 10 टन जैविक खाद बनाता है.
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इंदौर नगर निगम के क्लीनिंग विंग सुपरिटेंडेंट महेश शर्मा ने बताया कि पिछले वित्त वर्ष में इंदौर नगर निगम ने कचरे के निपटान से 14 करोड़ से ज्यादा रुपए कमाए थे. और वह इस वर्ष में करीब 20 करोड़ रुपए कमाने की उम्मीद कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि इंदौर की साफ सफाई के लिए तीन अलग अलग शिफ्टों में 8,500 से ज्यादा सफाई कर्मचारी काम कर रहे हैं.
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