डीएनए हिंदी: राजस्थान के जयपुर में एक अदालत में सुनवाई चल रही थी. फैमिली कोर्ट में दहेज प्रताड़ना का केस था. पति पर आरोप था कि उसने अपनी पत्नी को भरण-पोषण के पैसे नहीं दिए हैं. दूसरी तरफ पति के पक्ष के लोग सात बोरे लेकर अदालत में जज के सामने पहुंच गए. ये बोरे पैसों से भरे थे. बस इन सात बोरों को मिलाकर कुल 55 हजार रुपये ही हुए क्योंकि आरोपी पति के घर के लोग सात बोरों में सिक्के भरकर ले आए थे.
आरोपी दशरथ कुमावत की शादी 12 साल पहले सीमा कुमावत से हुई थी. पिछले पांच साल से दोनों के बीच विवाद चल रहा है. सीमा का आरोप है कि उसका पति दहेज के लिए उसके साथ मारपीट करता है. इस केस में दशरथ पर 2.25 लाख रुपये का बकाया है. बकाया पैसे न देने पर पुलिस ने दशरथ को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया. दशरथ के जेल जाने के बाद उसके परिवार के लोग 55 हजार रुपये जमा करवाए लेकिन अभी भी 1.70 लाख रुपये बाकी हैं.
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कोर्ट भी रह गया हैरान
दशरथ कुमावत के वकील ने कोर्ट के सामने अपनी दलील रखी कि ये सिक्के वैध भारतीय मुद्रा हैं इसलिए इन्हें स्वीकार किया जाए. इस पर कोर्ट भी परेशान हो गया. जज ने कहा कि इन सिक्कों को गिनने में ही 10 दिन लग जाएंगे. अब कोर्ट ने दशरथ कुमावत को ही आदेश दे दिया है कि वह हजार-हजार रुपये की थैलियां बनाकर इसकी गिनती करवाएं. इसके लिए 26 जून की तारीख भी तय कर दी गई है.
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वहीं, सीमा कुमावत के वकील का कहना है कि इस तरह से सिक्के लाने का मकसद सिर्फ इतना है कि दशरथ अभी और प्रताड़ित करना चाहते हैं. बताया गया कि 7 बोरों में 1, 2, 5 और 10 रुपये के सिक्के भरे थे. इनका वजन किया गया तो कुल 280 किलो निकला.
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