साले की शादी में जाने से पहले फटा जूता तो शख्स की बिगड़ी तबियत, दुकानदार से मांगा हर्जाना

Written By कविता मिश्रा | Updated: Jan 31, 2024, 09:17 PM IST

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Viral News: शख्स ने एक शोरुम से ब्रांडेड जूता खरीदा था लेकिन वह शादी में जाने से पहले फट गया. जिसकी वजह से उसकी तबियत ख़राब हो गई.

डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. यहां एक वकील ने जूते खरीदे थे. अब जूता खरीदने वाले वकील ने दुकानदार को नोटिस भेजते हुए इलाज में खर्च हुए रुपए के साथ-साथ जूते की रकम वापस करने की मांग की है.जूता खरीदने वाले वकील ने दुकानदार को नोटिस भेजते हुए इलाज में खर्च हुए रुपए के साथ-साथ जूते की रकम वापस करने की मांग की है. हालत नाजुक होने पर अपना इलाज कानपुर स्थित एक निजी अस्पताल में कराया है.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पूरा मामला सदर कोतवाली क्षेत्र के कमला नगर, कलेक्टरगंज का है, जहां के रहने वाले ज्ञानेंद्र भान त्रिपाठी जो पेशे से वकील हैं. वह अपने साले के बेटे की शादी में शामिल होने के लिए शहर स्थित बाटा के शोरूम से 21 नवंबर को एक जोड़ी जूता खरीदा. ज्ञानेंद्र भान ने जूते का दाम ऑनलाइन पेमेंट के जरिए चुकाया. खरीद की पक्की रसीद भी दुकानदार ने दी. वकील के मुताबिक, जूते की 6 महीने की गारंटी बताई गई थी लेकिन महज 4 से 5 दिनों में ही जूता फट गया. जिसके चलते ज्ञानेंद्र भान अपने साले के बेटे की शादी में नहीं शामिल हो सके. 

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इलाज में लगे इतने पैसे 

पीड़ित का कहना है कि शादी में न जा पाने के चलते वो मानसिक तनाव में आ गए और बीमार पड़ गए. जिसके बाद कानपुर के एक निजी अस्पताल में उनका इलाज हुआ, जिसका खर्च 10 हजार रुपए आया. जब पीड़ित मानसिक रूप से स्वस्थ हुआ तो उसने 19 जनवरी 2024 को अपने वकील साथी के माध्यम से दुकानदार को नोटिस भेजा. 15 दिनों के अंदर इलाज में खर्च हुए 10 हजार रुपए, रजिस्ट्री का 2100 रुपए और के जूते का 1200 रुपए वापस करने की मांग की है. ऐसा न करने पर कोर्ट के माध्यम से अपने हक के लिए कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है.

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पीड़ित ने कही यह बात 

वकील ज्ञानेंद्र भान का कहना है कि जूता बाटा कंपनी का बताकर दिया गया था. जो 4 से 5 दिन में ख़राब हो गया. तब से मैं बिना जूता-चप्पल के घूम रहा हूं. मैं चाहता हूं कि मुझे न्याय मिले और दुकानदार के खिलाफ कुछ न कुछ कार्रवाई की जाए. आज तक के अनुसार, इस पूरे मामले में दुकानदार का कहना है कि ज्ञानेंद्र भान त्रिपाठी ने मेरी दुकान से जूता जरूर लिया था लेकिन मैंने उन्हें बाटा का ओरिजिनल जूता बताकर जूता नहीं बेचा. जो जूता उन्होंने लिया वो 50 फीसद की छूट पर दिया गया था. उनको जो बिल दिया गया है, उसमें 6 महीने के अंदर जूते का सोल ख़राब होने की वारंटी थी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. वो मेरे ऊपर जबरदस्ती दबाव बना रहे हैं. 

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