डीएनए हिंदी: कोरोना वायरस (Coronavirus) ने आम लोगों के शरीर के साथ-साथ दिमागी हालत पर भी काफी असर डाला है. आंध्र प्रदेश के काकीनाडा से एक ऐसा ही मामला सामने आया है. रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना से डरकर एक मां-बेटी ने खुद को पिछले तीन सालों से अपने ही घर में बंद कर रखा था. इतने समय में इन दोनों ने बाहर के लोगों से मिलना-जुलना बिल्कुल बंद कर दिया था. बीच में एक बार महिला के पति भी आए लेकिन उसने अपने पति से भी मिलने से इनकार कर दिया. अब पुलिस ने कमरे का दरवाजा तोड़कर इन दोनों को बाहर निकाला है.
44 साल की के मणि और उनकी 21 साल की बेटी दुर्गा भवानी पिछले तीन सालों से अपने घर में कैद थीं. चार महीने पहले मणि से मिलने उनके पति सुरी बाबू आए लेकिन महिला उनसे भी मिलने को तैयार नहीं हुईं. हाल ही में कमरे के अंदर से चीखने की आवाज तो सुरी बाबू ने पुलिस को घटना की जानकारी दी. पुलिस और प्रशासन ने पहले तो समझाने-बुझाने की कोशिश की लेकिन जब मां-बेटी नहीं मानीं तो दरवाजा तोड़कर दोनों को बाहर निकाला गया.
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फिजिकली फिट हैं महिलाएं
कमरा खुला तो लोगों ने देखा कि पूरा कमरा अस्त-व्यवस्त था. दोनों मां-बेटी एक कंबल में छिपी थी. घंटो की मान-मनौव्वल और मश्क्कत के बाद ही दोनों कमरे से बाहर आने को राजी हुईं. यहां से निकालने के बाद दोनों को अस्पताल भेजा गया और उनका चेकअप कराया गया. डॉक्टरो ने बताया है कि शारीरिक रूप से तो दोनों ठीक हैं लेकिन उनकी मानसिक स्थिति समझने के लिए साइकोलॉजिस्ट की निगरानी में रखा गया है.
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डॉक्टरों ने यह भी बताया है कि ये मां-बेटी सिजोफ्रेनिया से पीड़ित हैं. सात साल से दोनों का इलाज चल रहा था. कोरोना से डर ने उनकी बीमारी को और बढ़ा दिया. महिला के पति सुरी बाबू ने बताया कि जब कोरोना शुरू हुआ और मास्क पहनकर लोग घर में रहने लगे तो ये दोनों डर गईं और खुद को घर में बंद कर दिया. महिला की बेटी दुर्गा धार्मिक किताबें पढ़ती थी और उसे लगता था कि कोई जादू-टोना करके उसके परिवार को मारना चाहता है.
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