डीएनए हिंदी: पूरे देश में इस वक्त नामीबिया से आए चीतों की चर्चा हो रही है. 70 साल बाद भारत में एक बार फिर हमारे देश में ये रौबदार चिंघाड़ सुनाई देगी. फिलहाल इन्हें मध्य प्रदेश के कूनो-पालपुर अभयारण्य में क्वारंटाइन बाड़ों में छोड़ा गया है. सोशल मीडिया में इनकी तस्वीरों और इनसे जुड़े अलग-अलग फैक्ट वायरल हो रहे हैं लेकिन आपको बता दें कि केवल चीता ही नहीं और भी कई जीव-जंतु हैं जिन्हें हमारी चिंता की जरूरत है. मतलब यह कि भारत के खजाने में शामिल वे जीव भी हमारे देश विलुप्त हो चुके हैं.
हमारे देश में कितने और जीव खतरे में हैं
भारत में दुनिया की कुल वनस्पति का 11.5 फीसद हिस्सा है. जीवों की बात करें तो उनका करीब 6.49 हिस्सा भारत के खाते में है. इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ नेचर रेडलिस्ट की ओर से 2014 में एक रिपोर्ट जारी हुई. इस रिपोर्ट के अनुसार पक्षियों की 15 प्रजातियां, स्तन धारियों की 12 प्रजातियां खतरे में हैं. वहीं सरीसृप और उभयचर की 18 प्रजातियां गंभीर रूप से लुप्त सूची में शामिल हो गई हैं.
कौन जीव हो चुके हैं विलुप्त
1- भारतीय ऑरोच (indian aurochs)
ये भारत के गर्म और शुष्क क्षेत्रों में रहते थे. इनकी ऊंचाई 6.6 फीट और वजन 1,000 किलोग्राम हुआ करता था. भारतीय बाइसन या गौर भारत में पाए जाने वाले जंगली मवेशियों की सबसे बड़ी प्रजाति है. ज़ेबू और गौर भारतीय मवेशी हैं जो विलुप्त हो रहे भारतीय ऑरोच के समान हैं.
2- सुमात्रन गैंडे (Sumatran rhinoceros)
सुमात्रन गैंडे को विलुप्त घोषित किया गया है. यह गैंडा दो सींगों वाला सबसे छोटा गैंडा है. ये करीब 275 से कम संख्या में बचे हैं और भारत के पड़ोसी देशों में पाए जाते हैं.
3- हिमालयी बटेर (Himalayan Quail)
यह पक्षी आखिरी बार मसूरी में साल 1867 में देखा गया था. यह मध्यम आकार का पक्षी कभी उत्तराखंड में पाया जाता था.
4- पिंक-हेडेड डक (pink-headed duck)
यह भारत में सबसे सुंदर पक्षियों में से एक थी. पिंक-हेडेड डक एक बड़ी डाइविंग ब्लैकिश-ब्राउन डक थी. ये लंबे गर्दन वाले बतख एक समय में पूरे भारत में पाए जाते थे.
5- मालाबार सिवेट (malabar civet)
सिवेट बिल्ली पश्चिमी घाट के तट पर पाई जाती थी. 1990 के बाद ये कभी नजर नहीं आईं.
कैसे विलुप्त हुए चीते ?
20वीं शताब्दी में भारतीय चीतों की आबादी में तेजी से गिरावट आई. साल 1918 से 1945 के बीच 200 चीते आयात भी किए गए. कहा जाता है कि 1947 में कोरिया के राजा रामानुज प्रताप सिंह देव ने देश के आखिरी तीन चीतों का शिकार कर उन्हें मार दिया. 1952 में भारत सरकार ने आधिकारिक रूप से चीतों को भारत में विलुप्त घोषित कर दिया था.
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