डीएनए हिंदी: कॉलेज या स्कूल में एडमिशन, सरकारी या प्राइवेट नौकरी या अन्य प्रोफेशनल कामों में आपने हाईस्कूल या इंटर के नंबरों की अहमियत देखी होगी. दिल्ली यूनिवर्सिटी या IIM जैसे संस्थानों में तो 99 पर्सेंट तक कटऑफ जाती है. इस बीच एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें एक मकान मालिक ने किराएदार को घर देने से सिर्फ इस वजह से इनकार कर दिया क्योंकि उसके नंबर कम थे. सोशल मीडिया पर वॉट्सऐप चैट वायरल हैं. लोग लिख रहे हैं कि इस हिसाब से तो अब कमरा लेने के लिए भी एंट्रेंस एग्जाम देना पड़ेगा.
सोशल मीडिया पर एक शख्स ने पोस्ट डालकर अपनी आपबीती बताई है. उसने कुछ स्क्रीनशॉट शेयर किए हैं. इस शख्स का दावा है कि बेंगलुरु में उसे सिर्फ इस वजह से कमरा नहीं मिल पाया क्योंकि उसके नंबर कम थे. रिपोर्ट के मुताबिक, मकान मालिक उस शख्स को अपना कमरा देना चाहता था जिसके नंबर 90 पर्सेंट हों. किराए के लिए कमरा ढूंढ रहे इस शख्स के नंबर 75 पर्सेंट थे तो उसे कमरा देने से इनकार कर दिया.
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कम नंबर देखकर मकान मालिक ने कर दिया इनकार
ब्रोकर के साथ चैट के जो स्क्रीनशॉट शेयर किए गए हैं उसमें ब्रोकर ने आधार कार्ड और पैन कार्ड के साथ-साथ 10वीं और 12वीं की मार्कशीट भी मांगी थी. इतना ही नहीं मकान मालिक ने किराए के लिए कमरा लेने वाले शख्स से उसका परिचय लिखकर भेजने को कहा था. बाद में ब्रोकर ने मैसेज पर ही बताया कि मकान मालिक ने कमरा देने से इनकार कर दिया है क्योंकि नंबर कम हैं.
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इस पर लोग सोशल मीडिया पर तमाम तरह के रिएक्शन दे रहे हैं. एक शख्स ने लिखा, 'यार मेरे तो 56 पर्सेंट नंबर ही हैं, मैं तो सड़क पर ही रह जाऊंगा.' एक और यूजर ने लिखा, 'अब तो लगता है कि किराए के कमरे के लिए जॉइंट एंट्रेस एग्जाम शुरू ही करना पड़ेगा.'
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