भारत का पड़ोसी देश बांग्लादेश हिंसा की मार झेल रहा है. मुल्क में भयंकर राजनितिक गतिरोध है इसलिए कब क्या हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता. मुल्क के हालात कैसे हैं? इसका अंदाजा गानोभाबोन की उन तस्वीरों को देखकर लगाया जा सकता है. जिन्होंने पूरे इंटरनेट पर तहलका मचाया हुआ है. ज्ञात हो कि पीएम शेख हसीना के इस्तीफे फिर देश छोड़ने की घटना के बाद बांग्लादेश से हैरान करने वाले मंजर दिखे. जहां एक तरफ प्रदर्शनकारी ढाका पैलेस में घुसकर शेख मुजीब की मूर्ति तोड़ने में कामयाब रहे. तो वहीं बांग्लादेशी सत्ता के केंद्र गानोभाबोन में भी प्रदर्शनकारियों ने जमकर उत्पात मचाया.
इंटरनेट पर तमाम वीडियो वायरल हुए हैं, जिनमें देखा जा सकता है कि ढाका में प्रधानमंत्री निवास में हजारों लोगों की भीड़ बिना किसी डर के प्रधानमंत्री निवास को तबाह और बर्बाद कर रही है. वीडियो में दिख रहा है कि मौके पर न तो पुलिस वाले हैं न ही कोई सुरक्षा कर्मी. उन्मादी भीड़ को जो समझ में आया वो उन्होंने लूटा.
तमाम विजुअल्स ऐसे आए हैं जिनमें हम लोगों को शेख हसीना के बेड पर मौज मस्ती करते, कुर्सियां और सोफे उठाकर अपने घर ले जाते देख सकते हैं. वहीं ऐसी भी तस्वीरें सामने आई हैं जिनमें लोगों ने शेख हसीना की बकरी, मछली, साड़ी और ब्रा तक को नहीं छोड़ा. भीड़ के हाव भाव उनका गुस्सा साफ़ तौर पर जाहिर कर रहे थे.
भीड़ के लिए क्यों जरूरी था गानोभाबोन को लूटना?
प्रदर्शनकारी यदि गानोभाबोन पहुंचे और वहां उन्होंने जमकर लूट पाट मचाई तो ये यूं ही रैंडम नहीं था. राजधानी ढाका में स्थित गानोभाबोन जो प्रधानमंत्री का आधिकारिक आवास और कार्यालय है, बांग्लादेशी सियासत का प्रमुख केंद्र है. प्रायः ये देखा गया है कि यही वो स्थान है जहां सरकारी बैठकें आयोजित होती हैं साथ ही यहीं तमाम तरह के जरूरी निर्णय लिए जाते हैं.
अब तक यही देखा गया है कि गानोभाबोन जिस तरह की इमारत है इसकी सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाता है. लेकिन जिस तरह अभी बीते दिन हुई हिंसा में यहां से सुरक्षाकर्मी नदारद दिखे वो हैरान करने वाला है.
बात अगर एक बिल्डिंग के रूप में गानोभाबोन की हो तो चाहे वो यहां के भव्य गुम्बद हों या फिर विशाल हॉल और खूबसूरत गार्डन. इस इमारत को देखते हुए इस बात का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है कि यहां रहने वाला कोई मामूली शख्सियत नहीं है.
चूंकि ये बिल्डिंग बांग्लादेशी सियासत के लिए बहुत अहम है. इसलिए यदि प्रदर्शनकारियों ने इस पर हमला किया और इसे लूटा. तो स्वतः इस बात की तस्दीख हो जाती है कि बांग्लादेशी आवाम शेख हसीनाकी तानाशाही से त्रस्त हो गई थी और बदलाव चाहती थी.
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