Success Story: सिर पर नहीं थी पक्की छत और बिस्तर पर पिता, बेटा IIT से पढ़ बना DRDO में वैज्ञानिक 

Written By स्मिता मुग्धा | Updated: Feb 25, 2024, 08:02 PM IST

Sudeep Maitai

Sudeep Maiti Story: कहते हैं कि मन में अगर कुछ करने का संकल्प लें, तो मुश्किलों को भी अपना रास्ता बदलना होता है. ये कहानी सुदीप मैती की है जिसने गरीबी और अभाव को हराकर जिंदगी में सफलता हासिल की. 

सपने पूरे करने के लिए साधनों से ज्यादा हौसले और कठिन परिश्रम की जरूरत होती है. पश्चिम बंगाल के पुरुषोत्तमपुर गांव के रहने वाले सुदीप मैती ने इसे वाकई में सच कर दिखाया है. सुदीप का परिवार एक कच्चे झोंपड़ीनुमा मकान में रहता है. पिता राजमिस्त्री का काम करते थे, लेकिन लंबे समय से बीमार चल रहे हैं. इन मुश्किल हालात के बीच भी सुदीप ने पढ़ाई का सपना नहीं छोड़ा और आज वह आईआईटी गुवाहाटी से एमटेक कर रहे हैं. साथ ही, उसे डीआरडीओ (DRDO) से नौकरी की ऑफर मिली है. अब वह देश की रक्षा के लिए काम करने का अपना सपना पूरा कर सकेंगे.  

सुदीप मैती के पिता जब बीमार पड़ गए, तो घर चलाने की सारी जिम्मेदारी उसके और मां के कंधों पर आ गई थी. सुदीप की मां ने बीड़ी बनाने वाली फैक्ट्री में काम करना शुरू कर दिया. सरकारी स्कूल से पढ़ाई करने के बाद सुदीप ने जिले के पॉलीटेक्निक कॉलेज से ग्रेजुएशन की. इसके बाद आईआईटी की तैयारी की और गुवाहाटी आईआईटी से एमटेक कर रहे हैं. अब वह डीआरडीओ के लिए काम करेंगे. उनके परिवार के लिए यह खुशी और गर्व का पल है. 


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DRDO में काम करना था सुदीप का सपना 
अपनी सफलता का श्रेय सुदीप माता-पिता को देते हैं. उन्होंने एक स्थानीय मीडिया से बात करते हुए कहा कि मैंने बचपन से बहुत गरीबी देखी है. मेरा हमेशा सपना था कि देश के रक्षा अनुसंधान विभाग (DRDO) के लिए काम करूं. अब जब मुझे वहां से नौकरी का ऑफर मिला है, तो मैं बहुत खुश हूं. मेरी इस उपलब्धि में माता-पिता का बहुत बड़ा हाथ है. उन्होंने मेरी पढ़ाई के लिए बहुत संघर्ष किया है. सुदीप के पिता राजमिस्त्री का काम करते थे, लेकिन अपने परिवार के लिए एक पक्का मकान नहीं बना सके. 


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कच्चे घर में रहता है सुदीप का परिवार 
सुदीप के माता-पिता की आर्थिक हालत अच्छी नहीं थी. गरीबी और फिर पिता की बीमारी में उनकी रही-सही पूंजी भी खर्च हो गई. दो बेटियों की शादी और दूसरे खर्चों की वजह से परिवार कभी अपने लिए एक पक्के कमरे का इंतजाम नहीं कर सका. सरकारी योजना का लाभ भी कागजी कार्रवाई की वजह से पूरा नहीं हो सका. अब सुदीप का सपना है कि वह माता-पिता के लिए एक पक्का घर बनवा सकें. सुदीप की कहानी संघर्ष में तपकर सोना बनने की है. 

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