डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में पशु क्रूरता की एक ऐसी वारदात सामने आई है, जिसे सुनकर लोग हैरान हैं. बसई गांव में एक महिला ने बुधवार को जन्मे नौ पिल्लों को एक तालाब में मारकर फेंक दिया. पुलिस ने शुक्रवार सुबह ग्रामीणों की मदद से तालाब से सभी पिल्लों के शव निकाल लिए. पुलिस के मुताबिक महिला के घर में एक कुतिया ने बुधवार को नौ पिल्लों को जन्म दिया था.
अधिकारियों ने बताया कि अनीता नाम की एक महिला ने गुरुवार को सुबह इन नौ पिल्लों को गांव के एक तालाब में फेंक दिया, जिससे उनकी मौत हो गई. जब ग्रामीणों की इस बात की जानकारी हुई तो एक एनिमल एक्टिविस्ट की मदद से यह मामला पुलिस तक पहुंचा. पुलिस के मुताबिक एनिमल एक्टिविस्ट विभोर शर्मा की तहरीर पर महिला और उसके पति के खिलाफ पशु क्रूरता निवारण अधिनियम और भारतीय दंड संहिता IPC की धारा-429 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है.
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पिल्लों का होगा पोस्टमार्टम
अधिकारियों ने बताया कि पुलिस ने स्थानीय ग्रामीणों की मदद से पिल्लों के शव तालाब से बाहर निकाले और उन्हें पोस्टमार्टम के लिए भेजा. पशु अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था ‘पीपल फॉर एनिमल्स’ के जिला अध्यक्ष विकेंद्र शर्मा ने कहा है कि जिस महिला के घर में कुतिया ने नौ पिल्लों को जन्म दिया था, उसी ने उन्हें बड़ी निर्ममता से तालाब में फेंक दिया.
क्या बोले एनिमल एक्टिविस्ट?
विकेंद्र शर्मा ने कहा कि उनकी टीम ने मौके पर पहुंचकर पिल्लों को पानी में तलाशने की कोशिश की, लेकिन केवल पांच पिल्लों के शव मिल सके. उन्होंने बताया, 'पिल्लों की मां बार-बार उनकी टीम के सदस्यों के हाथ चाट रही थी और उनके पैरों में लोट रही थी. ऐसा लग रहा था कि मानो वह कह रही हो कि जल्दी से उसके बच्चों को ढूंढकर ला दो.'
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समाचार एजेंसी भाषा से बातचीत में विकेंद्र शर्मा ने कहा, 'पशु-पक्षी भी इंसानों की तरह ही भावना रखते हैं, उन्हें भी दर्द होता है, उन्हें भी चोट लगती है, उन्हें भी दुख होता है, वे भी अपने बच्चों से अत्यधिक प्रेम करते हैं. इसलिए उनके साथ बहुत संवेदनशील व्यवहार करना चाहिए. समाज को उनके साथ इस तरह की क्रूरता नहीं दिखानी चाहिए.'
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पशु क्रूरता के खिलाफ क्या है कानून
पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम, 1960 के तहत पशु क्रूरता अपराध है. इस अधिनियम का उद्देश्य पशुओं के खिलाफ हो रही हिंसा को रोकना है. भारतीय पशु कल्याण बोर्ड का गठन भी इसी अधिनियम के तहत हुआ है. कुछ मामलों में पशुओं को विकलांग करने पर भारतीय दंड सहिंता की धारा 428 के तहत 2 साल तक की सजा भी हो सकती है.
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