'Virgin or Not.. मोटी और पतली' बेंगलुरु के ऑटो ड्राइवर ने ऐसा क्या लिखा, जिसके बाद मच गया बवाल, जानें पूरा माजरा

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Oct 03, 2024, 04:43 PM IST

बेंगलुरु के एक ऑटो ड्राइवर ने अपने ऑटो पर ऐसा संदेश लिखा कि सोशल मीडिया पर हाहाकर मच गया. अब लोग कह रहे हैं कि ये रैडिकल फैमिनिज्म है.

Bengaluru Viral News: भारत के किसी राज्य में आपने अगर ऑटो से सफर किया हो तो यह स्वाभाविक है कि अलग-अलग तरह के स्लोगन आपको ऑटो के पीछे देखने को मिले होंगे. हालिया मामला भारत के सिलिकॉन वैली कहे जाने वाले बेंगलुरु का है, जहां एक ऑटो ड्राइवर ने अपने ऑटो के पीछे 'पतली हो या मोटी, काली हो या गोरी, कुंवारी हो या नहीं, हर लड़की को सम्मान मिलना चाहिए' लिखवाया जिसके बाद से लोगों की अलग-अलग तरह की प्रतिक्रिया आने लगी. इस पोस्ट के बाद बेंगलुरु की सड़कों पर दौड़ते एक ऑटो ने सोशल मीडिया पर बड़ी बहस छेड़ दी है.

एक रिटायर्ड स्पोर्ट्स फैन नाम की यूजर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स X पर ऑटो की एक तस्वीर शेयर की है. उन्होंने इसे 'बेंगलुरु की सड़कों पर कट्टर नारीवाद' बताते हुए पोस्ट किया. इस पोस्ट के बाद से इंटरनेट पर लोगों की प्रतिक्रियाओं की बाढ़ सी आ गई है.

काली हो या गोरी...

ऑटो के पीछे लिखा था, 'पतली हो या मोटी, काली हो या गोरी, कुंवारी हो या नहीं, हर लड़की को सम्मान मिलना चाहिए.' यह संदेश जितना सरल और स्पष्ट था, लेकिन इस पोस्ट पर आने वाले रिएक्शन बिलकुल भिन्न थे. कई लोगों ने इसे महिलाओं के प्रति सम्मान की एक सकारात्मक पहल बताया, तो कुछ ने इसे ‘कट्टर नारीवाद’ कहने पर सवाल उठाए.


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क्या यह कट्टर नारीवाद है?
इस पोस्ट पर सोशल मीडिया के कई यूजर्स ने तारीफ की और इसे समाज के लिए एक जरूरी सीख बताया. एक यूजर ने लिखा, 'बेहतरीन संदेश, उम्मीद है लोग इसे समझेंगे और अपनाएंगे.' वहीं, कुछ अन्य लोगों  ने भी इसे समर्थन देते हुए लिखा कि यह महिलाओं के सम्मान की बात है, जो हर किसी को समझनी चाहिए. हालांकि,  इस पोस्ट से हर कोई इससे सहमत नहीं था. एक यूजर ने लिखा  कि यह कट्टर नारीवाद नहीं है, लेकिन लिखने का तरीका थोड़ा अजीब जरूर है. 'वर्जिन या नॉट वर्जिन' की बजाय 'मैरिड या अनमैरिड' लिखा जा सकता था.

रातों रात बन गया सोशल मीडिया स्टार
इस छोटी सी पोस्ट ने बेंगलुरु के इस ऑटो ड्राइवर को अचानक सोशल मीडिया स्टार बना दिया है. हालांकि, यह बहस इस बात पर भी जोर देती है कि नारीवाद और महिलाओं के अधिकारों की समझ को लेकर समाज में किस तरह की विभिन्नताएं और धारणाएं मौजूद हैं. हालांकि ज्यादातर लोगों का मानना था कि चाहे कोई इसे कट्टर नारीवाद कहे या साधारण संदेश, लेकिन यह पोस्ट एक बात साफ करती है कि महिलाओं के प्रति सम्मान की बात लोगों का ध्यान जरूर खींचती है.

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