पानी की जगह बहने लगा 'खून' का झरना, तस्वीर देख लोग हुए हैरान

Taylor Glacier: इंटरनेट की दुनिया में कई चीजें नजर आती हैं, जिन्हें देखने के बाद आंखों पर विश्वास नहीं हो पाता है कि ये बात भी सच है!

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Oct 15, 2022, 03:07 PM IST

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दुनिया के कई हिस्सों में कई ऐसी रहस्मयी चीजे हैं जिनके बारे में जानने के बाद आप और हम तो क्या, विज्ञानिक भी कुछ नहीं समझ पाते हैं. आज एक ऐसी ही खबर हम आपके लिए लेकर आए हैं जिसके बारे में जानकर आप भी सोच में पड़ जाएंगे. पूर्वी अंटार्कटिका के विक्टोरिया लैंड पर एक ग्लेशियर स्थित है. इस ग्लेशियर का नाम टेलर ग्लेशियर है इस ग्लेशियर से एक खून का झरना बहता हैं जिसे देखने के बाद वैज्ञानिक भी हैरान हैं. टेलर ग्लेशियर पर बहता यह खून का झरना दशकों पुराना है. इस ग्लेशियर की खोज अमेरिकी वैज्ञानिक ग्रिफिथ टेलर ने 1911 में की थी. इसी के कारण इसका नाम टेलर ग्लेशियर है. 

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कई वैज्ञानिकों ने इस खून के झरने को नजदीक से देखा है जब इसका सैंपल लेकर जांच की गई तो इस बात का भी खुलासा हो गया कि इसका स्वाद नमकीन यानी खून की तरह ही है जिसके बाद वैज्ञानिकों का मानना है कि इस ग्लेशियर पर जीवन संभव है और यहां पर ग्लेशियर के नीचे जीवन पनप रहा है. हालांकि इसके बारे में पूरी जानकारी का अभाव है इसका कारण यहीं है कि यह जगह खतरों से भरी हुई है और यहां पर जाने का मतलब अपनी जान को खतरे में डालना है. 

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सबसे पहले अंटार्कटिक के इस क्षेत्र में यूरोपियन वैज्ञानिक पहुंचे थे. इस ग्लेशियर के ब्रिटिश खोजकर्ता थॉमस ग्रिफिथ टेलर और उनके साथियों ने यहां पर इस लाल झरने को देखा था. पहले इन्होंने इसे लाल एल्गी बताया था लेकिन बाद में यह इनकी इस मान्यता को रद्द कर दिया गया. 

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इस ग्लेशियर के बारे में 1960 में एक बड़ा खुलासा हुआ कि इस ग्लेशियर के नीचे Iron Salts मौजूद है. वैज्ञानिकों के अनुसार यह Iron Salts फेरिक हाइड्रोक्साइड की मोटी बर्फ की परत से निकल रहा है. साल 2009 की एक स्टडी में इस ग्लेशियर के नीचे सूक्ष्मजीव होने की जानकारी मिली. इन सूक्ष्मजीवों के कारण ही इस ग्लेशियर से खून का झरना बह रहा है. 

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वैज्ञानिकों के अनुसार इस ग्लेशियर के नीचे लाखों सालों से सूक्ष्मजीव रह रहे हैं. यहां करीब 15 से 40 लाख साल पहले से सूक्ष्मजीव मौजूद है. पृथ्वी के बहुत बड़े इकोसिस्टम का यह छोटा सा हिस्सा है जिसे खोजने में विज्ञानिक सफल हुए हैं. हालांकि यहां पर एक जगह से दूसरी जगह पर खोज करने के लिए दशकों का समय लग जाएंगा क्योंकि यह क्षेत्र खतरों से खाली नहीं हैं और यहां पर आना जाना भी बैहद जोखिम भरा है.