दरअसल, हवाई जहाज में दिए गए हॉर्न का इस्तेमाल ग्राउंड इंजीनियर और स्टाफ से संपर्क साधने और उन्हें किसी तरह के खतरे से सावधान करने के लिए किया जाता है. यानी अगर उड़ान से पहले हवाई जहाज में कोई खराबी आ जाए या कोई इमरजेंसी की स्थिति बन जाए तो प्लेन के अंदर बैठे पायलट या इंजीनियर इस हॉर्न को बजाकर ग्राउंड इंजीनियर को अलर्ट मैसेज भेजते हैं.
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हॉर्न का बटन प्लेन के कॉकपिट पर होता है. यह कॉकपिट के कंट्रोल में अन्य बटनों की तरह ही होता है जिसके चलते इसे ढूंढना थोड़ा मुश्किल है.
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हॉर्न की पहचान के लिए बटन के ऊपर 'जीएनडी' (ग्राउंड) लिखा होता है. बटन को दबाने पर साइरन जैसी आवाज निकलती है और फिर हवाई जहाज का अलर्ट सिस्टम चालू हो जाता है.
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इसके अलावा हवाई जहाज में ऑटोमैटिक हॉर्न भी लगे होते हैं जो सिस्टम में किसी भी तरह की खराबी आने पर या फिर आग लग जाने पर अपने आप ही बजने लगते हैं. खास बात यह है कि इन हॉर्न की आवाज भी अलग-अलग होती है. यानी अलग-अलग तरह की खराबी आने पर हॉर्न की आवाज भी अलग-अलग ही आती है. इससे एयरक्राफ्ट इंजीनियर यह पता लगा पाते हैं कि जहाज के किस हिस्से में खराबी आई है.
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बता दें कि उड़ान भरते समय पायलट हॉर्न नहीं बजा सकता है क्योंकि उस वक्त जहाज का वार्निंग सिस्टम बंद कर दिया जाता है.